Posts

Showing posts from July, 2018

Best patriotic poem-वचन

Image
          वचन हे! त्रिकालदर्शी हे।,त्रिलोचन, मुझको तो ऐसा दे दो वचन। इस बसुधा के सम्मान में जो, सौगंध निभाने जाते हैं। घर में अबला को छोड़ के जो, विचरण करते है वन कानन। जो रण में लतपत होते है, अपना रुधिर न धोते है। तिरेंगे का उसको कफन मिले, हो वियर्थ नही उसका यौवन। हे!त्रिकालदर्शी हे। त्रिलोचन, मुझको तो ऐसा दे दो वचन। उस बहना को भी न्याय मिले, जिसके भाई के आने से, तन पे सजते थे नवीन बसन। उस बापू को इतना वर दे, ना याद करें उसका बचपन। हे। त्रिकालदर्शी हे। त्रिलोचन, मुझको तो ऐसा दे दो वचन। उस हिय को भी सम्मान मिले, जिसने वियोग में गवा दिया, जिन्दगी का रमणीय क्षण। उस माता को भी मोक्ष मिलें, जिस कोख से निकला है नंदन। उस गाँव की मिट्टी हरी रहे, जिस गाँव से निकला है कुंदन। हे!त्रिकालदर्शी हे त्रिलोचन, मुझको तो ऐसा दे दो वचन।                      अनिल कुमार मंडल                लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद       ...

Best love poem-यौवन

Image
                       यौवन बालि तेरी उमरिया गोरी मुझपे तो जादू है चलाये। जुल्फ तेरी ऐसे लहराये जैसे काली बदरी छाये। तेरे नैन में डुबा ऐसे सागर में दरिया छुप जाए। कमर तेरी चलने से गोरी लचके तरु बयार को पाये। गर्दन तेरी सुराही जैसी लिपटने को जी ललचाये। तेरे वक्ष की कल्पना से ही भूधर भी शर्माता जाए। जी भर के जो देख ले गोरी मुझपे सौ बोतल चढ़ जाए। तेरे चाल पे ऐसे झुमु जैसे भौरा मकरंद को पाए। नुतन बसन ओढ़े काया पे उसमे चार चाँद लगाए। मैं रशिया पर निर्धन प्राणी, दर्पण तौ तुझसे शरमाये। तेरे अधरों को चुमु मैं तो, मधुशाला फीका पर जाये। तेरा रमणीय सुरा पीकर यौवन मेरा धन्य हो जाये। बालि तेरी उमरिया गोरी मुझपे तो जादू है चलाये।                                    अनिल कुमार मंडल                              लोको पायलट, ग़ाज़ियाबाद   ...

Best patriotic poem-अमन

Image
         अमन  मैं अंग देश का वासी, तुमको राह दिखानेआया हूँ। राजनिति जब भटका रास्ता, उसे थामने आया हूँ। सबसे पहले तुम भारत में, हमको लड़वाना बंद करो। सैनिकों को तुम खुली छुट दो, AC में आनन्द करो। हम अपने शब्दो के जरिए, नया समर जगाएगे। तुमको शिशे में बिठलाकर, हुक्का हम पीलवाएगे। तुम्हें अगर इस देश के खातिर, सच्ची में कुछ करना है। एक बार मिट्टी के खातिर, सच्ची में अगर मरना है। तुम भी अपना एक पुत बस, भेज दो अगर घाटी में। तभी तुम्हे भी पता चलेगा, क्या रखा इस माटी में। संसद की दिवारे भी जब, चीख-चीख कर गाएगी। उनसे जुड़ी महिलाओं का,  जब गला रुन्ध हो जाएगी। भारत की हर समस्या का हल, अभी तुरन्त मिल जाएगा। जब अपना खुन को दिल्ली भी, तिरंगें में लिपटा पाएगा। जय- हिन्द ,जय-हिन्द के नारों से, इस देश में अमन छाएगा ।                                         अनिल कुमार मंडल              लोको पायलट,ग़ाज़ियाबा...

Best emotional poem-मजदूर कि चिकीर्षा

Image
             मजदूर कि चिकीर्षा चिकीर्षा लिये एक दम्पत्ति खड़ा दिखा चौराहे पर।     तपती गर्मी में जिंदगी की जंग लिये दौराहे पर। उनके बच्चें उबारा में कुद-कुद कर नहा रहे। एक दुधमुँहा बच्चा था,आँचल में सु-सु बहा रहे। दुर्निवार था उसका जीवन चेहरे पे संताप ना था। मेहनत कर रोटी जोहना ये तो कोई पाप ना था। नीम छावं में बैठी थी वो किसी काम की आश मैं। आदमी उसका पास खड़ा था काम की तालाश में। उसके तन पे लिपटा हुआ बसन थोड़े पुराने थे, जठरागिनी की मार परे तो चीर कहाँ से आने थे। घंटों इंतजार कर के जब आंखें उसकी पथरा गई, तभी चौपहिया आते देख खड़ी होकर घबरा गई। लालबत्ती की गाड़ी थी, दिखने में बहुत ही प्यारी थी, उससे निकला एक नौजवान किसी नेता की फुलवारी थी। मेहनती मजदूर बेचारा उस गाड़ी को ही देख रहा, गाड़ी से निकला दुराचारी नारी से आँखें सेक रह। मुकदर्शक बना मजदूर बेचारा नजरें को तो भाँप लिया, अपने कोप में घुट रहा था,जाने किस का श्राप लिया।                         ...

Best emotional poem- रोष

              रोष मानव जब रोष में होता हैं, तब कहा होश में होता हैं। सुन्दर काया पे अग्नि वियाप्त, आभा को अपनी खोता है। वैभबता उसकी जाती है, उत्कर्ष न उसका होता है। हृदयघात, पाक्षाद्यात,अवसाद तलक को ढोता हैं। जैसे पुष्प मुकुल बिना अब, फूल कही नही होता हैं। वैसे ही क्रोध का त्याग बिना, मानव ,दानव ही होता हैं। दानवी दुनिया की सच्ची खबर, अखबार में निश दिन होता है। अपना सब कोप में जला दिया, फिर जाने किस पे रोता हैं। सिन्धु किनारे क्रोध में जो, धैर्यवान हो सकता है। रघुपति ऐसा कर सकते है, मानव से हो नही सकता हैं। मानव जब रोष में होता है। सौभाग्य को अपने खोता हैं।           अनिल कुमार मंडल     लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद