Best patriotic poem-अमन

         अमन 

मैं अंग देश का वासी,
तुमको राह दिखानेआया हूँ।
राजनिति जब भटका रास्ता,
उसे थामने आया हूँ।
सबसे पहले तुम भारत में,
हमको लड़वाना बंद करो।
सैनिकों को तुम खुली छुट दो,
AC में आनन्द करो।
हम अपने शब्दो के जरिए,
नया समर जगाएगे।
तुमको शिशे में बिठलाकर,
हुक्का हम पीलवाएगे।
तुम्हें अगर इस देश के खातिर,
सच्ची में कुछ करना है।
एक बार मिट्टी के खातिर,
सच्ची में अगर मरना है।
तुम भी अपना एक पुत बस,
भेज दो अगर घाटी में।
तभी तुम्हे भी पता चलेगा,
क्या रखा इस माटी में।
संसद की दिवारे भी जब,
चीख-चीख कर गाएगी।
उनसे जुड़ी महिलाओं का,
 जब गला रुन्ध हो जाएगी।
भारत की हर समस्या का हल,
अभी तुरन्त मिल जाएगा।
जब अपना खुन को दिल्ली भी,
तिरंगें में लिपटा पाएगा।
जय- हिन्द ,जय-हिन्द के नारों से,
इस देश में अमन छाएगा ।
       
           
                    अनिल कुमार मंडल
             लोको पायलट,ग़ाज़ियाबाद 

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