Best patriotic poem-वचन

          वचन

हे! त्रिकालदर्शी हे।,त्रिलोचन,
मुझको तो ऐसा दे दो वचन।
इस बसुधा के सम्मान में जो,
सौगंध निभाने जाते हैं।
घर में अबला को छोड़ के जो,
विचरण करते है वन कानन।
जो रण में लतपत होते है,
अपना रुधिर न धोते है।
तिरेंगे का उसको कफन मिले,
हो वियर्थ नही उसका यौवन।
हे!त्रिकालदर्शी हे। त्रिलोचन,
मुझको तो ऐसा दे दो वचन।
उस बहना को भी न्याय मिले,
जिसके भाई के आने से,
तन पे सजते थे नवीन बसन।
उस बापू को इतना वर दे,
ना याद करें उसका बचपन।
हे। त्रिकालदर्शी हे। त्रिलोचन,
मुझको तो ऐसा दे दो वचन।
उस हिय को भी सम्मान मिले,
जिसने वियोग में गवा दिया,
जिन्दगी का रमणीय क्षण।
उस माता को भी मोक्ष मिलें,
जिस कोख से निकला है नंदन।
उस गाँव की मिट्टी हरी रहे,
जिस गाँव से निकला है कुंदन।
हे!त्रिकालदर्शी हे त्रिलोचन,
मुझको तो ऐसा दे दो वचन।



                     अनिल कुमार मंडल
               लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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