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Showing posts from August, 2018

Best patriotic poem-एंकर

                   एंकर             विदेशी चैनल देशी एंकर,             मिलकर देश गवाया है।             समाचार कहाँ पर खोया है।             विचार कहाँ पर रोया है।            बिकाऊ मिडिया बिकाऊ नेता ।            भाषण परोसने आया है।            घर्मवाद और जातिवाद का,            द्वेष परोशने आया है।            अश्लीलता और नंगेपन का,            रास रचाने आया है।            सभ्यता हमारी लुटी गई,            संस्कृति लुटने आया है।            विदेशी चैनल देशी एंकर,             मिलकर देश गवाया है।   ...

Best emotional poem-वाणी

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              वाणी                                           💐*****💐 आज तुझे मैं सिखलाता हुँ,              सुखमय रहने का वो मन्तर । कौआ -कोयल में होता हैै,                केवल वाणी का हीअन्तर। दोनों का रंग काला सुन्दर,                जाने किसको क्या मिला वर। कर्कश बोली पाता रहता हैै,               हर घड़ी अपमान निरन्तर। तीखी बोली से अच्छा हैै,                मुख से निकले मुक भरा स्वर। जैसे चुप-चाप छला करते हैं।                 प्रातः आकर निशा दिवाकर। रात्री में विचरण करता हो,                  जैसे शांत विधु निशाचर। आज तुझे मैं सिखलाता हुँ, ...

Poem of love- सावन

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               सावन               ******** सावन की नशीली रातों में,                     प्रियतम तुम मेरे पास रहो। हर दिशा में फैली हरियाली,                     अब मधुर-मिलन की आस करो। कालापी झुमे गए हैं,                       फिर अपना भी कुछ खास करो। मैं शैव हो गया मतवाला,                        चलो तुम भी कुछ परिहास करो। तुम मेरे मन के मंथन को,                          पढ़ने का एक कयास करो। तनहा ये सावन बीते ना,                          चलो तुम भी कुछ एहसास करो। सावन की नशीली रातों में,                   ...

Best Patriotic poem-अटल जी

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                अटल जी        ********************* मुमुक्षु लिए हमें अटल जी,                         तुम क्यों तनहा छोङ गए। निष्पाप में एक कर दाता था,                          अधिभार से तुम झकझोर गए। तुम क्षम्य,अचारपुत कहलाते,                         पर लाखों का दिल तोड़ गए। हमारी साठ बरस की सेवा,                          रक्तरंजित कर छोङ गए। मरने से पहले अटल जी,                          हमें आशातीत मरोड़ गए। निश्चय ही तुम अच्छे थे,                           दुरदर्शी,देशभक्त सच्चे थे। लिखना मेरी मजबूरी है,      ...

Best Emotional poem-मनु

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               मनु कही आतिबृष्टि कही आनाबृष्टि, ये कैसे रो रही हैं सृष्टि। मानव के तो हैं दो-दो नयन, पर खो दिया इसने अपनापन जब से इसने दे डाली हैं, प्रकृति के उपर कुदृष्टि। जन्मांध यहाँ तो अच्छे हैं, पज्ञाचक्षु है सच्चे हैं, उनकी आखें निशप्राण जो हैं, कही पड़ती नही इनकी कुदृष्टि। कही आतिबृष्टि कही आनाबृष्टि, ये कैसे रो रही हैं सृष्टि। हे। भवसागर के निर्माता, हे। त्रिचक्षु हे। विधाता, अब हरा भर हो हर उपवन, हरी बनी रहे जंगल, कानन, उतनी ही बारिश वहाँ पे हो, जीतने में हो मनु की तृप्ति। इस जग में प्रीति बनी रहे, खिलखिला उठे फिर से सृष्टि, कही आतिबृष्टि कही आनाबृष्टि, ये कैसे रो रही हैं सृष्टि।                        अनिल कुमार मंडल                  लोको पायलट/गाजियाबाद                     ...

Best hindi poem-अर्पण

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          अर्पण हे। रेल तुझे सत-सत नमन  मैं हाथ जोड़कर करता हूँ। तुमसे मुझको सम्मान मिला मैं तुझपे अर्पण करता हूँ। कर्मचारी तुझे सवारेंगे, अधिकारी तुझे निखारेंगे। सुरक्षित रेल संचालन हो, मुझसे कोई अपराध न हो। मैं ऐसी आशा करता हूँ, मैं तुझपे भरोसा करता हूँ। मैं अपने सारे बाल भाव का, आत्म समर्पण करता हूँ। हे। रेल तुझे सत-सत नमन, मैं हाथ जोड़कर करता हूँ। पर तेरी कृपा पाने को अपना सौभाग्य जगाने काे निज अपना कर्म निभाता हूँ, सेवा में खोता जाता हूँ। था लाखों की इस दुनिया में, मैं एक कुसुम मुरझाया सा। तुमसे मिली पहचान मुझे, तुमसे  मिला है प्राण मुझे। तुमने मुझे दिया है जो, वो त्राण ग्रहन में करता हूँ, हे। रेल तुझे सत-सत नमन मैं हाथ जोड़कर करता हूँ।                      अनिल कुमार मंडल                 लोको पायलट/गजियाबाद               ...

Best emotional poem-जीर्ण शरीर की आश

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        जीर्ण शरीर की आश तु मेरा विश्वास रे बेटा,जीर्ण शरीर की आश रे बेटा। तेरे खातिर हमनें अपना,बदल दिया इतिहास रे बेटा। जब तुम थे नन्हा सा फरिशता ,तब से अपना खून का रिश्ता । अंगुली पकड़ चलना सिखलाय,तोतली को में शुद्ध कराया । मम्मी की फटकार पड़ी तो,आते थे मेरे पास रे बेटा। तु मेरा विश्वास रे बेटा,जीर्ण शरीर की आश रे बेटा। घोड़ा बनकर सैर कराता,बिल्ली बनकर तुझे रिझाता। तुझे हसॉने के खातिर,बनता अपना उपहास रे बेटा। तु मेरा विश्वास हैं बेटा,जीर्ण शरीर की आश है बेटा। तुम मेले में लेटा करते,खिलोनों की जिद किया करते, तेरी हर ख्वाइस के आगे,हो जाता उदास रे बेटा। तु मेरा विश्वास रे बेटा,जीर्ण शरीर की आश रे बेटा। अपने बसन का छेद छुपाया,मैं स्कूल का शुल्क चुकाया। तुम्हे जीवन में आगे बढ़ाया,बड़ी उम्मीद से तुझे पढ़ाया, मेरी इस आशा को अब तुम,मत करना निराश रे बेटा, तु मेरा विश्वास रे बेटा,जीर्ण शरीर की आश रे बेटा। जिंदगी के इस रंगमंच पे,हमने तुमको खुद से सिंचा, तभी तो अब में तुमको समझु,अपना तु है खास रे बेटा। तेरे ज्वर में कई दिनों तक,लेता...

Best hindi poem-सुरक्षित रेल

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     सुरक्षित रेल जल रहा तरु का अंग- अंग, शाँखाए जल रही चंद-चंद, खग मर रहे बिना हो नीर संग, बाहर जल रहा हैं अंग-अंग, घर के अंदर तिमिर का संग, उड़ रही भूमि हो खंड-खंड, दिनकर दहाड़ता हैं प्रचंड, बच्चें बैठे हैं अर्ध-नंग, पत्थरों में बिछी हैं लोह-दंड, लोहपथ-गामिनि को मैं भगा रहा, पसीने से मैं नहा रहा, तप रहा था हर एक रेल खंड, रवि फेक रहा मुझ पर शोला धरा दे रही मुझको ज्वाला, मेरे अनिल तू धीरज धर, तू भी होगा नम एक पहर, वो दूर गाँव बीराने में, वो मेघो काे हर्षाने में, जल रही कही वो ज्योति अखंड। ऐसे में रेल चलाये कौन, इंजन भट्टी में जाये कौन, हमने तो बस इतना चाहा, काली ना हो मेरी काया, मन की शीतलता बनी रहें, तन की शीतलता बनी रहें, पर इतना तुम तो दे न सके, आशीष हमारी ले ना सके, जिस दिन घटना हो जाएगी, लिखना पड़ जाएगा निबंध, ऑन ड्युटी होने से पहले, लड़ना पड़ता हैं एक द्वंद्ध, सुरक्षित  रेल चलती रहे, ऐसा कीजिये कुछ तो प्रबंध।                    अनिल कुमार मंड...

Best emotional poem-हलधर

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          हलधर  सावन में उदभिज भर आया,  मेह ने अपना रंग दिखाया।  त्रिविधवायु का झोंका लाया।  उपत्यका में जल भर आया,  उबारा ने नीर बहाया,  कृषक का पथप्रदर्शक आया।  मुक्तकंठ वो झूमा गाया,  पैतृक भूमि में हल चलवाया,  उर्वरा अपना खेत बनाया,  फिर उसमें वह धान बोआया।  एकाहारी बना रहा और,  एड़ी चोटी एक कर आया।  सावन में  उदभिज भर आया।  मेह ने अपना रंग दिखाया। एषणा  की आग बुझाने को , शस्य लिए जब मंडी आया, अपने अन्न का भाव वो सुनकर, औंधे मुंह गिर सर फोड़वाया। अन्न बेच वो घर को आया, बच्चों का सामान ले आया, अपना पदत्राण नहीं ले पाया, दुर्निवार वह जीवन पाया, जिंदगी से वह हार मान के, नवि से अपना सर लटकाया। हमको रोटी खिलाने वाले, हलधर के घर मातम छाया, सावन में उदभिज भर आया, मेह ने अपना रंग दिखाया।              अनिल कुमार मंडल         लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद    उदभिज--जो घरती फोड़ कर जनमता है मेह...

Best hindi poem- सच्ची बातें

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                 सच्ची बातें                 ++++++++++++ भारतीय रेल की सच्ची बातें अपने सुर में गाता हूँ, नींद न आये इसी लिए मैं आधी रोटी खाता हूँ। आधी रोटी खाता हूँ,फिर भी रेल चलाता हूँ, ढाई इंच की पटरी पे में सरपट भागा जाता हूँ। बीबी, बच्चें, रिस्तो में मैं समय नहीं दे पाता हूँ। समय पे मैं ना खाता हूँ, समय पे मैं ना सोता हूँ। तुम्हे सुरक्षित पहुँचाने में, रातों की नींद गवाता हुँ। भारतीय रेल की सच्ची बातें अपने सुर में गाता हूँ, नींद न आये इसी लिए मैं आधी रोटी खाता हूँ। रेल सेवा में कई बार मैं, इस कदर को जाता हुँ। दिन, महीना,साल तो क्या मैं खुद  को  भूल ही जाता हूँ, भारतीय रेल की सच्ची बातें अपने सुर में गाता हूँ।                                                 अनिल कुमार मंडल                 ...

Best hindi poem-रेल चालक

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         रेल चालक         *********** दौड़ाता चला मैं भगाता चला मैं, भारतीय रेल को लहराता चला मैं। चढ़ा इंजिनों पे बखूबी निहारा, हेडलाइट भी देखी प्रेशर भी देखा, जरूरत पे गाड़ी बढ़ा के भी देखा। सिग्नल एक्सचेंज करके फिर सीटी बजाई, धीमे-धीमे गाड़ी बढ़ाता चला मैं। स्टार्टर पार करके जब एडवान्स आया, हरा देख नाँच लगाता चला मैं, स्पीड जब 60 पहुँचा  तो मैंने, गाड़ी में ब्रेक लगाके भी देखा, सी/फा बोर्ड आया तो सीटी बजाई, लगातार सीटी बजाता चला मैं। दुर्घटनाएं भी रोकी नुकसान भी रोका, अपना कर्म निभाता चला मैं। भारतीय रेल को दौड़ाता चला मैं। नाले नहर क्या और खेतों शहर क्या,  सभी से करीबी मिटाता चला मैं। मंदिर भी आया मस्जिद भी आया, पर अपना घर्म भुलाता चला मैं। सभी यात्रियों को बिना भेदभाव के, अपनी-अपनी मंजिल पहुँचाता चला मैं। ना मेरा कोई जाति ना मेरा है मजहब, मधुशाले सा फर्ज निभाता चला मैं। दिवाली भी आया मुहर्रम भी आया, वैशाखी का मंजर भुलाता चला मैं। दोड़ाता चला मैं भगाता चला मैं। भारतीय रेल को दौड़...

Best emotional poem-मेरी माँ

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          मेरी माँ        ********* सफलता की सीढ़ी चढ़ाती हैं माँ,  मुझे हर दुखों से बचाती हैं माँ। जब सूक्ष्म था मैं उनके उदर में, अपना रक्त पिलाती थी माँ। सफलता की सीढ़ी चढ़ाती हैं माँ, मुझे हर दुखों से बचाती हैं माँ।             नन्हा सा था मैं जब इनमें समाया,             मेरी नन्ही हरकत पे थोड़ा शर्मायी,             थोड़ा शर्म खा के बापू को बता के,              मेरी हरकतोो पेे खिल खिलाती थी माँ।             सफलता की सीढ़ी चढ़ाती हैं माँ,             मुझे हर दुखों से बचाती हैं माँ। नौ महीने मुझको अपने अंदर बैठाया, मेरे लिए अपना सौंदर्य गवाया, मेरे जैसे बालक को दुनिया मे लाके, मेरे रोने पे भी मुस्कुराई थी माँ, सफलता की सीढ़ी चढ़ाती हैं माँ, मुझे हर दुखों से बचाती हैं माँ। ...

Best hindi poem-देवकीनंदन

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        देवकीनंदन     जंगल की आग तो बुझ जाती, एषणा मेरी बुझाए कौन। है! देवकी  नन्दन गोपाला, अब ऐसे क्यों बैठे हो मौन। कुलीन यहाँ है व्यभिचारी, नारी की लाज बचाये कौन। पतिव्रता यहाँ अब झुठी हैं, वात्सल्य गीत अब गाए कौन। यर्थाथवाद में झुठा हूँ, तेरा वंदन अब गाए कौन। हर घृणित कार्य मानव करें, फिर इसको अब समझाए कौन। द्वापद में तुमसे लाज बची, कलयुग में क्यों बैठे हो मौन। भक्तों की रखो लाज प्रभु, तेरे बिना अपना हैं ही कौन।                    अनिल कुमार मंडल               लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद एषणा--/संसारिक वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा कुलीन--/जो उच्च कुल में उत्पन्न हुआ हो व्यभिचारी--/चरित्रहीन यथार्थवाद--/सच कहने वाला                                     ...

Poem of love- संगिनी

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                   संगिनी चलो संगिनी मिलकर के जीवन की नैया पार करें। अपने इस मानव जीवन को मिलकर हम साकार करें।    समशितोष्ण माहौल बनाकर अपने कुल का उद्धार करें। तापत्रय ले मेरे घर आई हम कैसे इन्कार करें। कृतज्ञ तुम्हारा रहुँगा में पर ऐसा कुछ संचार करें। एक दुसरे की प्रणय-कलह को हमेशा हम स्वीकार करें। यथोचित अपनी दुनिया सजायें ऐसा कुछ विचार करें। स्वार्थ भरी इस दुनिया में इतना अटुट हम प्यार करें। चलो संगिनी मिलकर के जीवन की नैया पार करें।                               अनिल कुमार मंडल                         लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद                                          ...