Poem of love- संगिनी

                   संगिनी

चलो संगिनी मिलकर के जीवन की नैया पार करें।
अपने इस मानव जीवन को मिलकर हम साकार करें।   
समशितोष्ण माहौल बनाकर अपने कुल का उद्धार करें।
तापत्रय ले मेरे घर आई हम कैसे इन्कार करें।
कृतज्ञ तुम्हारा रहुँगा में पर ऐसा कुछ संचार करें।
एक दुसरे की प्रणय-कलह को हमेशा हम स्वीकार करें।
यथोचित अपनी दुनिया सजायें ऐसा कुछ विचार करें।
स्वार्थ भरी इस दुनिया में इतना अटुट हम प्यार करें।
चलो संगिनी मिलकर के जीवन की नैया पार करें।

                              अनिल कुमार मंडल
                        लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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