Best hindi poem-अर्पण
अर्पण
हे। रेल तुझे सत-सत नमन
मैं हाथ जोड़कर करता हूँ।
तुमसे मुझको सम्मान मिला
मैं तुझपे अर्पण करता हूँ।
कर्मचारी तुझे सवारेंगे,
अधिकारी तुझे निखारेंगे।
सुरक्षित रेल संचालन हो,
मुझसे कोई अपराध न हो।
मैं ऐसी आशा करता हूँ,
मैं तुझपे भरोसा करता हूँ।
मैं अपने सारे बाल भाव का,
आत्म समर्पण करता हूँ।
हे। रेल तुझे सत-सत नमन,
मैं हाथ जोड़कर करता हूँ।
पर तेरी कृपा पाने को
अपना सौभाग्य जगाने काे
निज अपना कर्म निभाता हूँ,
सेवा में खोता जाता हूँ।
था लाखों की इस दुनिया में,
मैं एक कुसुम मुरझाया सा।
तुमसे मिली पहचान मुझे,
तुमसे मिला है प्राण मुझे।
तुमने मुझे दिया है जो,
वो त्राण ग्रहन में करता हूँ,
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