Poem of love- सावन
सावन
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सावन की नशीली रातों में,
प्रियतम तुम मेरे पास रहो।
हर दिशा में फैली हरियाली,
अब मधुर-मिलन की आस करो।
कालापी झुमे गए हैं,
फिर अपना भी कुछ खास करो।
मैं शैव हो गया मतवाला,
चलो तुम भी कुछ परिहास करो।
तुम मेरे मन के मंथन को,
पढ़ने का एक कयास करो।
तनहा ये सावन बीते ना,
चलो तुम भी कुछ एहसास करो।
कालापी झुमे गए हैं,
फिर अपना भी कुछ खास करो।
मैं शैव हो गया मतवाला,
चलो तुम भी कुछ परिहास करो।
तुम मेरे मन के मंथन को,
पढ़ने का एक कयास करो।
तनहा ये सावन बीते ना,
चलो तुम भी कुछ एहसास करो।
सावन की नशीली रातों में,
प्रियतम तुम मेरे पास रहो।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/गाजियाबाद
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/गाजियाबाद
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