Best patriotic poem-एंकर
एंकर
विदेशी चैनल देशी एंकर,
मिलकर देश गवाया है।
समाचार कहाँ पर खोया है।
विचार कहाँ पर रोया है।
बिकाऊ मिडिया बिकाऊ नेता ।
भाषण परोसने आया है।
घर्मवाद और जातिवाद का,
द्वेष परोशने आया है।
अश्लीलता और नंगेपन का,
रास रचाने आया है।
सभ्यता हमारी लुटी गई,
संस्कृति लुटने आया है।
विदेशी चैनल देशी एंकर,
मिलकर देश गवाया है।
आजादी के रणवाकुरों का,
जन्नत में मन घबड़ाया है।
हमने कलाम की सोची थी
जयचन्द कहाँ से आया है।
मेरे पौत्र गददार भी होगें,
ये किसने फरमाया है,
देशद्रोहियों के नब्ज में जो,
बह रहा रुधिर पराया है।
चौराहों पे इनको पिटो,
जो वंदन गीत न गाया है,
विदेशी चैनल देशी एंकर,
आजादी के रणवाकुरों का,
जन्नत में मन घबड़ाया है।
हमने कलाम की सोची थी
जयचन्द कहाँ से आया है।
मेरे पौत्र गददार भी होगें,
ये किसने फरमाया है,
देशद्रोहियों के नब्ज में जो,
बह रहा रुधिर पराया है।
चौराहों पे इनको पिटो,
जो वंदन गीत न गाया है,
विदेशी चैनल देशी एंकर,
मिलकर देश गवाया है।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/गाजियाबाद
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/गाजियाबाद
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