Best patriotic poem-भारती रानी
भारती रानी
मैं अंग देश का वासी हूँ सूखेन शरण न जाऊँगा ।
अमृत को नाभि में रखकर अमर नहीं हो पाऊँगा।
कैसा भी समय जीवन में आये, डरकर दूर न जाऊँगा।
हाँ ,मृतयु अगर दक्षिणा मांगें, तो खुशी से सर कटबाउँगा।
इतिहास हमारी बात को कहता,जो रहा कर्ण सी दानी का,
गंगा के में तीर पे खेला,बाकी ऋण है पानी का।
हमारे रक्त में बसा हुआ है,ज्ञान उस स्वमिमानी का,
जिसके चोटी में बसता था, विद्वता भारती रानी का।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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