Best Patriotic poem-प्लासी
प्लासी
अंग्रेज यहाँ पर आये थे,बस करने को व्यपार।
व्यपार तो एक बहाना था, करते थे अत्याचार।
टुकङो में कई बिरासते ,नही था आपसी प्यार।
फुट डालकर सत्ता पाते, मानव थे ये बेकार।
जिसको इनका साथ मिलता था उसकी जय जय कार।
बंगाल का नबाब सिराजुद्धोला को, नही था ये स्वीकार,
शेर यहाँ भुखा सो जाए गिदर करे शिकार।
नवाब की सेना सज्ज हो गई लड़ने को तैयार,
अंग्रेजों के सैकडों सैनिक यहाँ थे कई हजार,
कोई यहाँ अब कह नही सकता नवाब जाएगा हार।
क्लाईव की एक रणनिति ने ऐसा किया प्रहार,
शेर की गर्दन पे रख डाली गिदर ने तलवार,
बिना लड़े ही सिराजु प्लासी को गए थे हार।
सत्ता का वो लालची, था बहुत बड़ा गद्दार,
मीरजाफर ने पा लिया था, सत्ता का अधिकार।
कैद करके सिराजु का सर ,धड़ से दिया उतार।
देश की हालत बदतर हो रही,कुछ तो करो विचार।
हर नुक्कङ हर चौराहे पर,है मीरजाफर दो चार।
आज अगर इस देश का युवा नहीं करता हैं विचार,
कल हमें झेलना ही पड़ेगा,कटु शब्दों का वार,
बुढ़ापे में नही मिलेगा आप को अपना प्यार,
बुढ़ापे में नही मिलेगा आप को अपना प्यार।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/गाजियाबाद
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