Best hindi poem-तारे खो गए

        तारे खो गए

आ रही रश्मि की गाड़ी,
पारिजात ने राह सजा दी।
सविता ने तिमिर भगा दी।
रात का राजा गुम हो गया,
टिमटिमाते तारे खो गए।
चिडिया चुनमुन चहकन लागे,
उषा के बाद है दिनकर जागे।
भौंरे अब मकरंद को आ गए।
प्रकृति बिखेर रही है छ्टा,
है चारों और उन्माद पड़ा।
ऐसे में मुसाफिर जाग जरा,
तन्द्रा को तु दूर भगा।
धरती कह रही है पुकार,
बेटा तुम जाओ न हार।
वातावरण में चित्कार भरा,
अब बचा न कोई गाँव हरा।
सतपुड़ा है कंगाल खड़ा,
निर्धन और निराश पड़ा।
जंगल खो गया है अपनी शक्ल,
हम निर्दय होकर काट चुके।
अब एक नही कई जंगल।
हम रहेगे अगर सोये सोये,
हमरे पापों को कौन ढोये।
हमने पेड़ो का नाश किया,
जाने कैसा अभिशाप लिया।
उसने हमको जो गरल दिया,
फिर भी हमने ना सिख लिया।
जब दाना पानी को तरसेंगे,
फिर आगे किस पे बरसेंगे।
चाहता है अपने बच्चें,
रहे अगर सुखी सलामत।
हर साल एक तरु गाड़ दो,
मिट्टी में सही सलामत।
बच्चें अपने दिर्घायु होंगे,
रुक जाएगी आती कयामत।

                        अनिल कुमार मंडल
                   लोको पायलट/गाजियाबाद

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