Best patriotic poem-गुलामी

 
                      गुलामी

स्वतंन्त्रोतर भी भारत में,
मानसिक गुलामी जिन्दा है।
यह देखके अमर शहीद मेरे,
उस लोक में भी शर्मिदा है।
सुखदेव,राजगुरू,भगत भुले,
पर जनरल डायर जिन्दा है।
कानून यहाँ की अंग्रेजी,
शिक्षा,मिडिया भी धन्धा है।
गौरो के नाम की सड़के हैं,
आजाद,सुभाष चुनिन्दा है।
विदेशी कम्पनियॉ हमें लुट रही,
स्वदेशी बाँधे है पुलिंदा हैै।
स्वतंन्त्रोतर भी भारत में,
मानसिक गुलामी जिन्दा है।
आजादी जो हमको है मिली,
आजादी के नाम पे धंधा है।
हर साख पे कोयल गाएगा,
बहुज्ञ यहाँ का परिन्दा है।
खादी-खाकी की जय होगी,
पर देशप्रेम ही मंदा है।
भारत वासी कर देते हैं,
पर कर नेता का चंदा हैं।
उस पुत ने लाज बचाई है,
जो मर के ओढ़े तिरंगा है।
स्वतंन्त्रोतर भी भारत में,
मानसिक गुलामी जिन्दा है।

                           अनिल कुमार मंडल
                       लोको पायलट/गाजियाबाद

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