Best patriotic poem-विकास के पापा

   विकास के पापा

पेट का भुगोल बिगड़ रहा है,
बापू जी के देश में।
उनके पोते भूखें सोते,
नेताओं के द्वेष में।
आपस में हम खूब लड़े है,
जाति,धर्म के केस में।
विकास के पापा घुम रहे है,
हर दिन देश-विदेश में।
नोटबंदी जब फेल हो गया,
FDI से मेंल हो गया,
पढ़ा लिखे पकोड़े बेचेगा
पिज्जा,बर्गर सेल हो गया।
आडवाणी जी गुरु थे पहले,
अब तो केवल खेल हो गया।
साँस लेने पे टेक्स लगेगा,
आने वाले परिवेश में।
पेट का भुगोल बिगड़ रहा है,
बापू जी के देश में।
विकास के पापा घुम रहे है,
हर दिन देश-विदेश में।
15 लाख का जुमला वादा,
नौकरी का युवा का इरादा,
सपने तुमने दिखाये ज्यादा,
फेकु से तुम फेके ज्यादा।
लोगों को ऐसे भ्रमाये,
सरकारी सब बेच के खाये।
गौ रक्षा का तेरा कायदा,
झुठा तेरा हर-एक वादा।
रफाल घोटाला शेष में,
गुलामी का पहला कदम है,
अब कहना क्या संदेश में।
ऐसे में बेसुध पड़े है,
गुजरेगा बुढापा क्लेष में।
पेट का भुगोल बिगड़ रहा है,
गाँधी जी के देश में।
विकास के पापा घुम रहे है,
हर दिन देश-विदेश में।

                       अनिल कुमार मंडल
                लोको पायलट/गाजियाबाद

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