Best Emmotional poem-बचपन

                   बचपन

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बचपन के पुराने दिन साथी,हम भूल गए कमाने में।
बड़ा सा घर था,बड़ा ह्दय था,सो जाते थे सिरहाने में।
अनपढ़ थी वो बुढ़िया दादी,माहिर थी खाना बनाने में।
निरक्षर था गाँव का काका,बहुज्ञ थे उस जमाने में।
साफ पानी थी ,शुद्ध हवा था,कमी नही थी खाने में।
बचपन के पुराने दिन साथी,हम भूल गए कमाने में।
अर्धनग्न,गीला बसन पहने,घुमते थे हर ठिकाने में।
अमृतफल चुरा के खाना,छुप जाते थे तहखाने में।
इमली और चूरन के खातिर,मईया को सताने में।
गिल्ली,डंडा,कौड़ी खेलना,ओलिम्पिक था उस जमाने में।
बचपन के पुराने दिन साथी,हम भूल गए कमाने में।
ना मोबाइल ना कंप्यूटर था,आनन्द था नदी नहाने में।
गलीयों में जहाज था अपना,मुसलाधार भगाने में।
उन्माद भरी इस दुनिया सेअच्छे थे हम बचकाने में।
बचपन के पुराने दिन साथी,हम भूल गये कमाने में।

                                        अनिल कुमार मंडल
                                   लोको पायलट/गाजियाबाद
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