Best patriotic poem-परछाई
परछाईं
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विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
भारतीय संस्कृति लुटती रही,अपनी हुई रुसवाई हैं।
पश्चिम की रस्में देख-देख अपनी औकात भुलाई हैं।
प्रियंवदा ने मिडिया से युवाओं को वहकाई हैं।
फिल्मीवाले कलाकारों ने खुद अपनी लाज गवाई हैं।
देश को इसने कुछ न दिया नैतिकता अपनी भगाई हैं।
विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
नेता धन विदेश से माँगे उसकी होती वाह-वाही हैं।
निर्धन अगर रोटी माँगे उसकी होती है पिटाई हैं।
जिसने जितना कर लाया उतनी ही मैडल पाई हैं।
जमीर बैच ये पैसा खाये,घोटालों में उसे पचाई हैं।
उनके झुठे भाषण ने इस देश की नाक कटाई है।
विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
अजन्मा भी आने से पहले कर्ज लिए सर आई है।
सैकडों में कम्पनियाँ थी तब ,अब fdi की लड़ाई हैं।
कुछ तो हमको करना होगा,आगे कुआं पीछे खाई हैं।
सदीयो तक गुलाम रहे थे,शायद उसकी परछाई हैं।
विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
भारतीय संस्कृति लुटती रही,अपनी हुई रुसवाई हैं।
पश्चिम की रस्में देख-देख अपनी औकात भुलाई हैं।
प्रियंवदा ने मिडिया से युवाओं को वहकाई हैं।
फिल्मीवाले कलाकारों ने खुद अपनी लाज गवाई हैं।
देश को इसने कुछ न दिया नैतिकता अपनी भगाई हैं।
विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
नेता धन विदेश से माँगे उसकी होती वाह-वाही हैं।
निर्धन अगर रोटी माँगे उसकी होती है पिटाई हैं।
जिसने जितना कर लाया उतनी ही मैडल पाई हैं।
जमीर बैच ये पैसा खाये,घोटालों में उसे पचाई हैं।
उनके झुठे भाषण ने इस देश की नाक कटाई है।
विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
अजन्मा भी आने से पहले कर्ज लिए सर आई है।
सैकडों में कम्पनियाँ थी तब ,अब fdi की लड़ाई हैं।
कुछ तो हमको करना होगा,आगे कुआं पीछे खाई हैं।
सदीयो तक गुलाम रहे थे,शायद उसकी परछाई हैं।
विश्व बैंक से कर लेकर हमने ये वृद्धि पाई हैं।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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