Best Patriotic poem-सुधा पीला दी

                    सुधा पीला दी

राजीव भैया ने सुधा पीला दी,मैं सुभाष बन जाऊँगा।
गांधी बनना बस में नहीं है, सूूली पे चढ़ जाऊँगा।
एक गाल पे चाटा खाके, दूजा नही बढ़ाऊँगा।
अंधियारे में देश घिर रहा, दीप मैं एक सुलगाउँग।
स्वदेशी से देश चेलगा, निरापद वो काम कराऊंगा।
रोग न कोई घर दस्तक दे,आयुर्वेद मैं गाऊंगा।
रसोई हैं औषधालय अपना, सबको मैं समझाऊंगा।
राजीव भैया ने सुधा पीला दी,मैं सुभाष बन जाऊंगा
गांधी बनना बस में नही हैं, सूली पे चढ़ जाऊंगा।

नेहरू से ये देश न चले ,तिलक से मैं चलबाउंगा।
गौ माता की सेवा करके, दूध मलाई खाऊंगा।
गोरों से देश छुड़ाया हैं, काले को राह दिखाऊंगा।
मानसिक गुलामी बहुत हो चुकी,अंत मैं इसे कराऊंगा।
तथाकथित आजादी जी रहे, पूर्ण स्वराज मैं लाऊंगा।
राजीव भैया ने सुधा पीला दी, मैं सुभाष बन जाऊंगा।
गांधी बनना बस में नहीं है ,सूूली पे चढ़ जाऊंगा

इतिहास हमारा पथ प्रर्दशक,धोखा नही में खाऊंगा।
पिंजर बंध हो देश हमारा, ये कैसे सह पाऊंगा।
गद्दारों की फौज खड़ी हैं, शंखनाद कर जाऊंगा।
राजीव भैया ने सुधा पीला दी, मैं सुभाष बन जाऊंगा
गांधी बनना बस में नही है,सूूली पे चढ़ जाऊंगा।

                             अनिल कुमार मंडल
                        लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद

नेहरू-- एक विचार हैं जो अंग्रेजी तरीके से देश को आगे                    बढ़ना चाहते थे।
तिलक--एक ऐसा विचार धारा जो स्वदेशी के रास्ते पे चलकर              इस देश को आगे ले जाना चाहते थे।

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