Best Patriotic poem-सौदागर
सौदागर जम्हूरियत के सौदागर ने, जुमले से आश जगा दी है। पतझड़ के पेड़ो से हमने, छाया की आश लगा ली है। खुद ही जिसका घर सुना, पितृत्व की लाश बिछा दी है। विकास को पैदा करने की, लोगों को उसने सलाह दी है। जिसकी जोरू न्याय को तरसे, महिला कानून बना दी है। गुरू का ऐसा तिरस्कार किया, एक जलती दीप बुझा दी है। छप्पन इंच के सीने ने , भगोड़ों से हाथ मिला ली हैं। जम्हूरियत के सौदागर ने , जुमले से आश जगा दी हैं। युवाओं से पकोड़े तलवाकर, डीग्री पाने की सजा दी हैं। सौराष्ट्र के जुमलेबाजों ने, शब्दों से हमें सजा दी हैं। हिन्दू-मुस्लिम हमें बताकर, खुद ...