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Showing posts from November, 2018

Best Patriotic poem-सौदागर

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               सौदागर      जम्हूरियत के सौदागर ने,     जुमले से आश जगा दी है।     पतझड़ के पेड़ो से हमने,     छाया की आश लगा ली है।     खुद ही जिसका घर सुना,     पितृत्व की लाश बिछा दी है।     विकास को पैदा करने की,     लोगों को उसने सलाह दी है।     जिसकी जोरू न्याय को तरसे,     महिला कानून बना दी है।     गुरू का ऐसा तिरस्कार किया,     एक जलती दीप बुझा दी है।      छप्पन इंच के सीने ने ,     भगोड़ों से हाथ मिला ली हैं।      जम्हूरियत के सौदागर ने ,      जुमले से आश जगा दी हैं।     युवाओं से पकोड़े तलवाकर,      डीग्री पाने की सजा दी हैं।      सौराष्ट्र के जुमलेबाजों ने,      शब्दों से हमें सजा दी हैं।      हिन्दू-मुस्लिम हमें बताकर,      खुद ...

Best patriotic poem-समर

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                         समर   समर शुरू अब करना होगा,देश के खातिर लड़ना होगा। गलत दिशा में देश चल रहा, पथ कोई नया पकड़ना होगा। समर शुरू अब करना होगा, देश के खातिर लड़ना होगा। पश्चिम जैसी संस्कृति हो गई,दूर इसे अब करना होगा। देश हमारा शिक्षा उनकी,गुरुकुल में अब पढना होगा। जल अपना शीतल जल उसके,बोतल जल पी मरना होगा। आर्यावर्त में सरिता रो रही,साफ इसे अब करना होगा। समर शुरू अब करना होगा, देश के खातिर लड़ना होगा। काला फिरंगी दिल्ली बैठा, वेपद इसको करना होगा। सेना में जो सेवा देगा, उसको ही दिल्ली बढ़ना होगा। गद्दारों को फाँसी दे दो, जुर्म नहीं अब सहना होगा। भ्रष्टाचारी नेताओं को,जेल में घुट के मरना होगा। समर शरू अब करना होगा देश के खातिर लड़ना होगा। हर नारी दुर्गा हो जाये, कान्हा हर एक ग्वाला होगा। शिक्षा सबको मिले बराबर, काम वहीं अब करना होगा। विदेशी हमको लूट रहे हैं, बहिष्कार उसका भी करना होगा। स्वदेशी घर-घर हो जाये, जन जागृति अब करना होगा। समर शुरू अब करना होगा ,देश के खातिर लड़न...

Poem of love-प्रिये

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                   प्रिये                           ****** कल गौधूलि की बेला में, नैना ऐसे हुए चार प्रिये। मूकदर्शक घंटों बैठा, फिर आया एक विचार प्रिये। सुंदरता की तुम मूरत बनो,और मैं तेरा श्रृंगार प्रिये। मैं पर्ण कुटीर का सेवक था, घर मे था एक ही द्वार प्रिये। तेरे पग घर पे पड़ते ही, हर और लग गया सार प्रिये। तरनी मैं अब तक तनहा था, तू बनी मेरी पतवार प्रिये। दिनचर्या मेरी निखर गई, जैसे बिंदिया लिलार प्रिये। जीवन मेरा सुखमय हो गया, ऐसी बही बयार प्रिये। बैरागी मैं बनता तो ,होती नारी की हार प्रिये। पर तेरा रमणीय हाला पी, इतना हो गया लाचार प्रिये। रोम-रोम पुलकित हो गाये, हर नव्ज़ में हैं झंकार प्रिये। आपादमस्तक हम मिल जाये, अब रहे न कोई दरार प्रिये। एक दूजे में खो जाए, ऐसा अपना संसार प्रिये। हर जनम में दोनों मिलते रहे,एक दूजे को एतवार प्रिये। अपना ऐसा मिलन हुआ, हैं दाता का  उपहार  प्रिये। ...

Best hindi poem-लाचारी

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             लाचारी           ************* भयाकुल यहाँ हर पिता हैं भइया माता का भी वहीं रवैये। बेटियां बिक रही बाजारों में, तेरे साथी गद्दारों में। दिन का शैब बने रात कसाई। कोठे पे लाइन खड़ी हैं, मयखाने में भीड़ हैं भाई। बहुत हो गई जुमलेबाजी, अब तो देश संभालो भाई। बदमिजाज अपने साथी को, पहले तुम निपटा लो भईया। भयाकुल यहाँ हर पिता हैं भईया, माता का भी वहीं रवैया। मीडिया तेरा कायल हैं, अबला इस देश का घायल हैं, खंडिता यहाँ सदाचारी हैं, मोदी की जय लाचारी हैं।                   अनिल कुमार मंडल               लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद