Best Patriotic poem -दिल्ली

        दिल्ली

मीर जाफर राजा बन बैठा,
    आजादी के बाद में।
जयचंदो ने फौज खड़ी की,
    दिल्ली के दरबार में।
  देश हमारा खूब लूटाथा,
    हिन्दी चीनी प्यार में।
    धंधे सारे चला रहे थे,                                                         
  अपने ही परिवार में।
   मीर जाफर राजा बन बैठा,
    आजादी के बाद में।
  जयचंदो ने फौज खड़ी की,
    दिल्ली के दरबार में।

  दो लोगों ने मौज किये है,
      पूरे इस संसार में।
 बाबाओं की धोती बिकती,
     धर्म के बाजार में,
 नेताओं के छिक हैं मिलते,
     रोज नये अखबार में।
  मीर जाफर राजा बन बैठा
      दिल्ली के सरकार में।

   अभिनेत्री आदर्श बनी हैं,
      इज्जत से बाजार में।
    तिरंगें का कफन मिला है,
      इनको भी पुरस्कार में।
    तिरंगें का कफन मिले,
    हम भी थे खड़े कतार में।
    देश के सैनिक मारे जा रहे,
    भाषण लच्छेदार में।
    मीर जाफर राजा बन बैठा,
     आजादी के बाद में।
    जयचंदो ने फौज खड़ी की
    दिल्ली के दरबार मे।

     गोरों की थी कुछ कंपनियां
      हम भी थे व्यापार में।
     पर एफ.डी.आई नहीं थी इतनी
      भारत  के उद्धार में।
     देश की जनता भ्रमित हो गई,
      जठर की भूखी मार में।
      ऐसा क्यों महसुस हो रहा,
       खङे पतन के द्वार में।
      मीर जाफर राजा बन बैठा,
       दिल्ली के सरकार में।
       जयचंदो ने फौज खड़ी की,
          दिल्ली के दरबार में।

       विदेशी हमको जकड़े हुए हैं,
        वैश्वीकरण के तार में।
      भारतीय संस्कृति नग्न हो रही,
        बाहर, चार-दिवार में।
       बच्चों को हम जहर दे रहें,
       जाहिरात के लाड़ में।
        स्वदेशी हम भुल रहे हैं,
        विदेशी झंकार में
       मीर जाफर राजा बन बैठा,
        आजादी के बाद में।
        जयचंदो ने फौज खड़ी की,
          दिल्ली के दरबार में।

                 अनिल कुमार मंडल
             लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद

    

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