Best Patriotic poem-मैं नेता हूँ

                    मैं नेता हूँ

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    मैं नेता हूँ, मेरा क्या मैं देश बेच के खाता हूँ।
आत्मा मैंने बेच दिया जनता का भाग्य विधाता हूँ।
  लाल किसी के घर पैदा हो दावत खाने जाता हूँ।
 लाली कोई जनम जो ले ले उसको मैं मरवाता हूँ।
  मंच थाम के जनता में ,बेटी बचाओ चिल्लाता हूँ।
     मैं नेता हूँ, मेरा क्या मैं देश बेच के खाता हूँ।

   गाँव का छोरा पढ़ने चला सीधी भर्ती करवाता हूँ।
  पार्टी का उसे मंत्र पढ़ाकर बरसों वोट मैं पाता हूँ।
 स्कूल ,कॉलेज, सड़के बनवाता, खूब कमीशन खाता हूँ।
 लच्छेदार मैं भाषण देता, जनता को खूब बनाता हूँ।
      मैं नेता हूँ, मेरा क्या मैं देश बेचकर खाता हूँ।

  शैल तुङबाता, वन कटबाता भव्य मैं महल सजाता हूँ।
   अपने बच्चों के खातिर, बेधर्म भी मेल कराता हूँ।
   दूजा जो बेधर्म बियाहे, आपस में लाड़बाता हूँ।
    वैभबता मेरे घर बैठे, अपना कानून चलाता हूँ।
      मैं नेता हूँ, मेरा क्या मैं देश बेच के खाता हूं।

  चुनाव के दिन करीब आये, जाति मजहब करवाता हूँ।
    हिन्दू कटते मुस्लिम मरते ,मैं तो मौज उड़ाता हूँ।
  राम-रहीम के घर पर जा, आश्वासन देकर आता हूँ।
     दोनों से हमें वोट है पाना होली ईद मनाता हूँ।
   हम नेता का एक धरम, केवल नेता  कहलाता हूँ।
     मैं नेता हूँ ,मेरा क्या मैं देश बेच कर खाता हूँ।

   सारे सुख मैं यहाँ पे पाता, अन्तःक से मैं घबराता हूँ।
   सिकंदर के होशले आली, सोच के मैं डर जाता हूँ।
  अकिंचन आना, खाली जाना, सच से हार ही जाता हूँ।
       मैं नेता हूँ ,मेरा क्या,दुनिया से मैं भी जाता हूँ।
       मैं नेता हूँ ,मेरा क्या,दुनिया से मैं भी जाता हूँ।

                                       अनिल कुमार मंडल
                                  लोको पायलट/ गाजियाबाद

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