Poem of love- तेरे बिना
तेेरे बिना
तेरे बिना जीने की कल्पना,अब हैं निराधार प्रिय।
मृगनयनों में मुझको भरकर,मत करना इनकार प्रिय।
ज्येष्ठ माह में हुई थी शादी,बन गया अपना त्योहार प्रिय।
दुनिया की नजरों में हो गया,तेरा मेरा प्यार प्रिय।
तेरे बिना जीने की कल्पना,अब हैं निराधार प्रिय।
ना तुम मेरी थी, न मैं तेरा था,बस दोनों थे लाचार प्रिय।
समय ने हमकों ऐसा बाँधा,कैसे करूँ इजहार प्रिय।
मैं तेरा,तुम मेरी हो गई,एक दूूजे को स्वीकार प्रिय।
तेरा मेरा दो दुहिता का, अपना हैं संसार प्रिय।
मेरे सांसो की डोरी पे,तेरा हैं अधिकार प्रिय
तेरे बिना जीने की कल्पना,अब हैं निराधार प्रिय।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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