Posts

Showing posts from February, 2019

Best Patriotic poem:- भोलेबाबा के भक्त

Image
 भोलेबाबा के भक्त हम श्वेत कबूतर वाले थे, पर तुमने मुझे जगाया हैं। भोलेबाबा के भक्तों ने, अभी ट्रेलर तुम्हें दिखाया हैं। चालीस वीरों की लाशों पर, तुमने जो मिठाई बाटें थें। वीरों के माता के हिय में, तुमने जो चुभोये कांटे थे। दिल्ली की खामोशी पर, तुमने जो मारे चाटे थे। भारत के वीर सिपाही हम, चूड़ी नहीं कर में छांटे थे । समय बदल गया,सत्ता बदला क्यों तुम्हें समझ नहीं आया हैं। नापाक इरादों बाले के, खेमें में मातम छाया हैं। भोलेबाबा के भक्तों ने, अभी ट्रेलर तुम्हें दिखाया हैं। बालाकोट में लाशें बिछ गई, गिद्धों ने जशन मनाया है। कुत्तों की टोली आ पहुँची, कोई ना खाना खाया है। कुतों का मुखिया ने उसको बड़े अदब समझाया है। अपने भाई की लाश हैं ये, अल्ला ने इसे बुलाया हैं। भैरब के बहकावे से ये, कुत्ते में जन्म जो पाया हैं। भारत के वीर जवानों ने, अभी छ्प्पन इंच दिखाया हैं। ये भीख पे पलने वालों को, अल्ला ने अभी बुलाया है। भोलेबाबा के भक्तों ने, अभी ट्रेलर तुम्हें दिखाया हैं। हम श्वेत कबुतर बाले थे, पर तुमने मुझे जगाया हैं। ...

Best hindi poem:-तीन रंग

Image
                तीन  रंग                                    ::::::::::: तीन रंग में रेल सिमट गई, आप को मैं बतलाता हूँ। भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर में गाता हूँ। नींद न आये कभी-कभी तो आधी रोटी खाता हूँ।  आधी रोटी खाता हूँ, फिर भी रेल चलाता हूँ। ढाई इंच की पटरी पे मैं, सरपट भागा जाता हूँ। गति प्रतिबंध जहाँ भी आये,रेल की गति घटाता हूँ । रेल का जब चक्का रुकता हैं, पहले गाली खाता हूं । भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर में गाता हूँ। गर्मी में पारा जब चढ़ता, धर्य बनाये रखता हूँ। धुंध में जब गाड़ी चलती ,शीशे से नैन सटाता हूँ। रेल भले ही लेट हो जाए, बादल की सैर कराता हूँ। हर मौसम की मार झेलकर, मैं तो रेल चलाता हूँ। तीन रंग में रेल सिमट गई, आप को मैं बतलाता हूँ। भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर...

Best Patriotic poem- आतंक की बलि

Image
  आतंक की बलि  ************* भारत माता के चरणों में,  आतंक की बलि चढ़ाएंगे, भोले का त्रिशूल पकड़ हम, शंखनाद कर जाएंगे। आतंकवाद के आक को, हम रौद्र रूप दिखलाएंगे। पीठों पे गोली मारी हैं, सीना छल्ली कर जाएंगे। आतंक की बोटी- बोटी से, कुत्तों की भुख मिटाएंगे। चौधरी कोई बीच में आये, अब नही सहने पाएंगे। चीन, अमेरिका दुर रहे, हम खुद इसको निपटाएंगे। भारत माता के चरणों में, आतंक की बलि चढ़ाएगे। वीरों की माता के आँसू , अब वियर्थ नहीं यू जाएंगे। जिन्दा कोई पकड़ाएगा, चौराहे पर टाँगा जाएगा। ऐसी उसकी मौत लिखेंगे दुश्मन भी थरायेगे। विधवा की सिन्दूर कॊ हम, इतिहास में अमर कराएगे। वीर शिवाजी के पोते हैं, खाक में उसे मिलाएंगे। मौर्य बंश,राणा की धरती, जिल्लत, में जी नही पाएंगे। भारत माता के चरणों में, आतंक की बलि चढाएगें। हम सहते हैं, डरपोक नही, हम पाक का भ्रम मिटायेंगे। भारत के वीर सिपाही जब, लाहौर में जश्न मनाएंगे। इस्लामाबाद की धरती पर, हम बंदे मातरम गाएंगे। ये भीख पे पलने वाले हैं, हमको क्या आँख दिखाएगें। हम...

Best Patriotic poem :-लाठी की बर्षा

Image
     लाठी की बर्षा     ************* पानी पे लाठी की बर्षा, बंद करो अब मोदी जी। छ्प्पन इंच के सीने में अब, रक्त तो भर लो मोदी जी। किसका खून नहीं खोलता, पुलवामा के घटने पर। दिल्ली क्या अब मुँह खोलेगी, संसद में बम फटने पर। भारत का भुगोल बदल दो, वक़्त अभी हैं, मोदी जी। पानी पी लाठी की वर्षा , बंद करो तुम मोदी जी। वेदों की भाषा चीख-चीख कर, हमने जब-जब गाये हैं। भारत के वीरो की लाशें , बोरी में भरकर पाये हैं। दिल्ली की बुजदिल पे देखो, देश अभी शर्मिंदा हैं।  घंटेचौबीस बीत गए, कातिल अभी भी जिंदा हैं। इसलामाबाद की धरती पे, होली मनवा दो मोदी जी। पानी पे लाठी की बर्षा, बंद करो तुम मोदी जी। गैरत और जिल्लत की जिंदगी, हम नही जीने पायेंगे। मौर्य वंश राणा की धरती, सहन नहीं कर पाएंगे। ऐसा न हो क्रोध में आकर, हम ही बागी बन जाये। माताओं के आँसू रूकने  से पहले कुछ कर जाये। एक बार आदेश दिलाकर घर बैठो तुम मोदी जी। इज़राइल जैसे जीना सीखला दो, हम ले तुमको गोदी जी। पानी पे लाठी की बर्षा, बंद कर...

Patriotic poem-वंदन गीत

Image
      वंदन गीत      ******** षठराग न कोई गाऊंगा, ना वंदन गीत सुनाऊंगा। इस मिट्टी की जय बनी रहे , वो युक्ति मैं बतलाऊंगा। धार्मिक जहाँ न ढोंगी हो, हिंदू कि भी न जहाँ जय हो। वो मंत्र मैं तुझे पढ़ाऊंगा, षठराग न कोई गाऊंगा। ना वंदन गीत सुनाऊंगा। बस देशप्रेम एक धर्म बने, इसमें न कोई स्वर्ण बने। मानवता एक ही जाती बने, ना कोई यहाँ विजाति बने। धर्म की शिक्षा दे सकते, धार्मिकता फिर न वो सकते। राम-रहीम एक साथ पढ़े,  नुतन न कोई धर्म गढ़े। जो धर्म गढ़े न यहाँ रहे, विधिवत वो कार्य कराऊंगा। षठराग न कोई गाऊंगा, ना वंदन गीत सुनाऊंगा। सैन्य सेवा यहाँ अनिवार्य बने, वात्सल्य यहाँ ना जान बने। देशहित जहाँ अब प्राण बने, विघ्नों को मैं सुलझाऊंगा। पतिव्रता जहाँ हर नारी हो, बच्चा-बच्चा सदाचारी हो। निरापद हर कार्य कराउंगा, इस देश को स्वर्ग बनाउंगा। षठराग न कोई गाऊंगा, ना वंदन गीत सुनाउँगा। इस देश की मिट्टी की जय हो, वो युक्ति मैं बतलाऊँगा।                         ...