Best Patriotic poem:- भोलेबाबा के भक्त
भोलेबाबा के भक्त हम श्वेत कबूतर वाले थे, पर तुमने मुझे जगाया हैं। भोलेबाबा के भक्तों ने, अभी ट्रेलर तुम्हें दिखाया हैं। चालीस वीरों की लाशों पर, तुमने जो मिठाई बाटें थें। वीरों के माता के हिय में, तुमने जो चुभोये कांटे थे। दिल्ली की खामोशी पर, तुमने जो मारे चाटे थे। भारत के वीर सिपाही हम, चूड़ी नहीं कर में छांटे थे । समय बदल गया,सत्ता बदला क्यों तुम्हें समझ नहीं आया हैं। नापाक इरादों बाले के, खेमें में मातम छाया हैं। भोलेबाबा के भक्तों ने, अभी ट्रेलर तुम्हें दिखाया हैं। बालाकोट में लाशें बिछ गई, गिद्धों ने जशन मनाया है। कुत्तों की टोली आ पहुँची, कोई ना खाना खाया है। कुतों का मुखिया ने उसको बड़े अदब समझाया है। अपने भाई की लाश हैं ये, अल्ला ने इसे बुलाया हैं। भैरब के बहकावे से ये, कुत्ते में जन्म जो पाया हैं। भारत के वीर जवानों ने, अभी छ्प्पन इंच दिखाया हैं। ये भीख पे पलने वालों को, अल्ला ने अभी बुलाया है। भोलेबाबा के भक्तों ने, अभी ट्रेलर तुम्हें दिखाया हैं। हम श्वेत कबुतर बाले थे, पर तुमने मुझे जगाया हैं। ...