Patriotic poem-वंदन गीत
वंदन गीत
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षठराग न कोई गाऊंगा,
ना वंदन गीत सुनाऊंगा।
ना वंदन गीत सुनाऊंगा।
इस मिट्टी की जय बनी रहे ,
वो युक्ति मैं बतलाऊंगा।
वो युक्ति मैं बतलाऊंगा।
धार्मिक जहाँ न ढोंगी हो,
हिंदू कि भी न जहाँ जय हो।
हिंदू कि भी न जहाँ जय हो।
वो मंत्र मैं तुझे पढ़ाऊंगा,
षठराग न कोई गाऊंगा।
षठराग न कोई गाऊंगा।
ना वंदन गीत सुनाऊंगा।
बस देशप्रेम एक धर्म बने,
इसमें न कोई स्वर्ण बने।
इसमें न कोई स्वर्ण बने।
मानवता एक ही जाती बने,
ना कोई यहाँ विजाति बने।
ना कोई यहाँ विजाति बने।
धर्म की शिक्षा दे सकते,
धार्मिकता फिर न वो सकते।
धार्मिकता फिर न वो सकते।
राम-रहीम एक साथ पढ़े,
नुतन न कोई धर्म गढ़े।
नुतन न कोई धर्म गढ़े।
जो धर्म गढ़े न यहाँ रहे,
विधिवत वो कार्य कराऊंगा।
विधिवत वो कार्य कराऊंगा।
षठराग न कोई गाऊंगा,
ना वंदन गीत सुनाऊंगा।
ना वंदन गीत सुनाऊंगा।
सैन्य सेवा यहाँ अनिवार्य बने,
वात्सल्य यहाँ ना जान बने।
वात्सल्य यहाँ ना जान बने।
देशहित जहाँ अब प्राण बने,
विघ्नों को मैं सुलझाऊंगा।
विघ्नों को मैं सुलझाऊंगा।
पतिव्रता जहाँ हर नारी हो,
बच्चा-बच्चा सदाचारी हो।
बच्चा-बच्चा सदाचारी हो।
निरापद हर कार्य कराउंगा,
इस देश को स्वर्ग बनाउंगा।
इस देश को स्वर्ग बनाउंगा।
षठराग न कोई गाऊंगा,
ना वंदन गीत सुनाउँगा।
ना वंदन गीत सुनाउँगा।
इस देश की मिट्टी की जय हो,
वो युक्ति मैं बतलाऊँगा।
वो युक्ति मैं बतलाऊँगा।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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