Best Patriotic poem :-लाठी की बर्षा
लाठी की बर्षा
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पानी पे लाठी की बर्षा,
बंद करो अब मोदी जी।
छ्प्पन इंच के सीने में अब,
रक्त तो भर लो मोदी जी।
किसका खून नहीं खोलता,
पुलवामा के घटने पर।
दिल्ली क्या अब मुँह खोलेगी,
संसद में बम फटने पर।
भारत का भुगोल बदल दो,
वक़्त अभी हैं, मोदी जी।
पानी पी लाठी की वर्षा ,
बंद करो तुम मोदी जी।
वेदों की भाषा चीख-चीख कर,
हमने जब-जब गाये हैं।
भारत के वीरो की लाशें ,
बोरी में भरकर पाये हैं।
दिल्ली की बुजदिल पे देखो,
देश अभी शर्मिंदा हैं।
घंटेचौबीस बीत गए,
कातिल अभी भी जिंदा हैं।
इसलामाबाद की धरती पे,
होली मनवा दो मोदी जी।
पानी पे लाठी की बर्षा,
बंद करो तुम मोदी जी।
गैरत और जिल्लत की जिंदगी,
हम नही जीने पायेंगे।
मौर्य वंश राणा की धरती,
सहन नहीं कर पाएंगे।
ऐसा न हो क्रोध में आकर,
हम ही बागी बन जाये।
माताओं के आँसू रूकने
से पहले कुछ कर जाये।
एक बार आदेश दिलाकर
घर बैठो तुम मोदी जी।
इज़राइल जैसे जीना सीखला दो,
हम ले तुमको गोदी जी।
पानी पे लाठी की बर्षा,
बंद करो तुम मोदी जी।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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