Best hindi poem:-तीन रंग
तीन रंग
:::::::::::
तीन रंग में रेल सिमट गई, आप को मैं बतलाता हूँ।
भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर में गाता हूँ।
नींद न आये कभी-कभी तो आधी रोटी खाता हूँ।
आधी रोटी खाता हूँ, फिर भी रेल चलाता हूँ।
ढाई इंच की पटरी पे मैं, सरपट भागा जाता हूँ।
गति प्रतिबंध जहाँ भी आये,रेल की गति घटाता हूँ ।
रेल का जब चक्का रुकता हैं, पहले गाली खाता हूं ।
भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर में गाता हूँ।
गर्मी में पारा जब चढ़ता, धर्य बनाये रखता हूँ।
धुंध में जब गाड़ी चलती ,शीशे से नैन सटाता हूँ।
रेल भले ही लेट हो जाए, बादल की सैर कराता हूँ।
हर मौसम की मार झेलकर, मैं तो रेल चलाता हूँ।
तीन रंग में रेल सिमट गई, आप को मैं बतलाता हूँ।
भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर में गाता हूँ।
हरा संकेतक पाते ही, पुरी मैं गति भगाता हूँ,
पीला संकेतक पाते ही, नियंत्रण में गाड़ी लाता हूँ,
लाल जहाँ भी पाता हूँ, उसके पहले रुक जाता हूँ।
अपनी सारी व्यथा भुलकर, मैं तो रेल चलाता हूँ।
भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर में गाता हूँ।
घर का राशन, बच्चों का कपड़ा, वक्त पे ना दे पाता हूँ।
अगले रेस्ट में लाऊँगा, ये कहकर टाल मैं जाता हूँ।
रिश्तेदार नाराज हैं मुझसे, समय नहीं दे पाता हूँ।
समय पे मैं ना खाता हूँ, समय पे मैं ना सोता हूँ।
यात्रीगण की सेवा में, रातों की नींद गवांता हूँ।
रेल सेवा में कई बार मैं,इस कदर खो जाता हूँ।
दिन महीने साल तो क्या, मैं खुद को भुल ही जाता हूँ।
तिरंगे की आश लिये, मैं रेल पे मर मिट जाता हूँ।
तीन रंग में रेल सिमट गई, आपको मैं बतलाता हूँ।
भारतीय रेल की सच्ची बातें, अपने सुर में गाता हूँ।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
Comments
Post a Comment