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Showing posts from March, 2019

Best hindi poem-शायरी संग्रह

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                           1:-    ईमली चबाता देखकर, शहनाई बजाकर देखिए,           भैंस के आगे कभी श्रृंगी बजाकर देखिए,          ज़िन्दगी के जंग जल्दी ही समझ जाओ गे तुम,          चिलचिलाती धुप में फड़वा चला कर देखिए।                                              अनिल कुमार मंडल                                         लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद            2:-   पेट-पीठ जब एक हो गई ,भुख से इंसान का,       पाप क्या हैं, पुण्य क्या है,क्या ख़बर ईमान का।       बेजान पत्थरों पे यहाँ, हर रोज लगता भोग है,     अपने अंदर जो बसा हैं, क्या क...

Poem of love:- जीने की तैयारी

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           जीने की तैयारी          ------------------------- जीवन मेरा बीत रहा हैं, जीने की तैयारी में, हर वक्त बंदा लगा हुआ हैं, रोटी की तैयारी में। बचपन था, अनमोल खजाना, गुड्डे ,गुड़ियों का था जमाना। बारिश में वो नंगे नहाना, बाबा के संग खेत पे जाना। अनमोल वो बचपन पीछे रह गया, खेतों की उस क्यारी में, जीवन मेरा बीत रहा हैं, लोहे की चार दिवारी में। हर वक्त बंदा लगा हुआ हैं, रोटी की तैयारी में। जॉब लगी संगिनी आई, बापू जी ने कर दी सगाई, नवजीवन ने ली अंगड़ाई, लोगों ने दी खूब बधाई, मेरे घर एक कन्या आई, जीने का उद्देश्य ले आई, घर का कोना-कोना खो गया, बेटी की किलकरी में, नवनिर्मित खुशबू आ बैठी, जीवन के फुलवारी में। जीवन मेरा बीत रहा हैं, जीने की तैयारी में। रोटी, कपड़ा और मकान हैं, जरूरत का सामान पड़ा हैं, लेकिन वैसी नींद कहाँ, जैसी थी, बापू बाड़ी में। कागज के टुकड़े पकड़ रहे हैं, वक्त की चलती गाड़ी में। आज का दिन भी निकल गया हैं, कल की ही तैयारी में। जीवन मेरा बीत रहा हैं, जीने की तैयारी में। हर ...

Best hindi poem:-सृष्टि रचना

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      सृष्टि रचना आमावश की रात सुहानी, तारिका बनी गगन की रानी। रजनी में थी, विह्वल वाणी। भाव की एक तूूफान थी आई, तन विकृत कर ली अंगड़ाई। वासनामय माहौल बना था। मेरे सिर पे तना खड़ा था। व्यथा सारी उस पल में खोया। रात में गहरी नींद में सोया। हीय का मैं तकिया बनबाकर, सांसों को कुछ गति दिलाकर। नैनों के उपवन में घुमा, अधरों को अधरों से चूमा। हाथों ने करतब दिखलाया, मध्यमा को भी सैर कराया। आपादमस्तक का मधुमय बेला। अंग-अंग ने क्रीड़ा वो खेला। नारी में बैकुण्ठ में पाया। चारों धाम का दर्शन पाया। बूंदों ने जब उपवन सींचा, एक दूूजे को जोर से खिंचा। कुछ पल की खामोशी छाई, एक लम्बी सी साँस भर आई। स्पंदन भी तेज हो आई, काया ने स्थुलता पाई। आदि मानव बने हुऐ थे, बेसुध यू ही पड़े हुऐ थे। चिडियाँ ने जब सुबह जगाया, मन थोड़ा विचलित हो आया। कितनी जल्दी दिनकर आया, गहरी नींद से हमें जगाया। ईश्वर की हैं दुनिया प्यारी, इतने से सृष्टि रच डाली।              अनिल कुमार मंडल       ...

Best patriotic poem:-इतिहास

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                 इतिहास मैं तो सपना देख रहा हूँ, मैं भी एक इतिहास लिखूंगा। गॉव-देहात में भारत बसता,शहरों का विकास लिखूँगा। कैसे-कैसे लोग यहाँ पर, ऐसा कुछ परिहास लिखूंगा। गौ पे ये लाठी बरसाते, कुत्ता खासम-खास लिखूंगा जीन्स पहन कर योगा करते, मिलते लोग झकास लिखूंगा। साड़ी,सलवार विदेशी हो गई,स्कर्ट हो गई खास लिखूंगा। ना ये देशी, ना विदेशी, मिलता जुलता एहसास लिखूंगा। पिज़्जा,बर्गर घर-घर मिलता, दाल रोटी उपहास लिखूंगा। भारत के लोग हैं उसे पकड़ते, पश्चिम का जो त्रास लिखूंगा। देश का युवा भटक गया हैं, हो के मन उदास लिखूंगा। गरीब यहाँ हैं जलती दुबा, धनपति बन गया पलाश लिखूंगा। इम्तिहान को दिये बिना ही, पप्पू होता पास लिखूंगा। कानून का जब भी डंडा चलता,पप्पू का अवकाश लिखूंगा। मैरिट लिस्ट में पप्पु अब्बल उसपे दूूधिया प्रकाश लिखूंगा। पत्थर पे हम क्षीर चढ़ाते,माँ-बाप की भूख और प्यास लिखूंगा। संसद की चार दिवारी में, निश दिन होता बकबास लिखूंगा। संविधान का चीर-हरण कर,करते ये अट्टास लिखूंगा। आर्यावर्त की संस्कृति खो गई, मन में है...

Best hindi poem:-चुनाव के दिन

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             चुनाव के दिन जब से चुनाव के दिन करीब आने लगे। नेता जी ,जनता को, बहकाने लगे। घर-घर बिजली होगी, सड़के भी बनेंगे, हाथ जोड़ ,पैदल चल, बताने लगे। जब से चुनाव के दिन करीब आने लगे। बेरोजगारी की दौड़ में युवा भी चल दिये, नेता जी ,उनसे चमचागिरी,कराने लगे। जब से चुनाव के दिन करीब आने लगे।  शाम-दाम दंड भेद की चाल गये, हर तरह के वादों से लुभाने लगे।  जब से चुनाव के दिन करीब आने लगे। मौलवी और पंडितो की बहार आ गई, टी वी डिबेट में जोर से ,चिल्लाने लगे। एक दुजे के खून के, प्यासे ये हो गए, एंकर भी ऐसे दृश्य से ,घबराने लगे। जब से चुनाव के दिन करीब आने लगे। दर्शक भी बढ़ गए, चैनल भी चल पड़ा, मौलवी जी, पंडित के घर खाने चले, जब से चुनाव के दिन करीब आने लगे। नेता जी ने फोन पर, शाबाशी दी उन्हें, अगले चुनाव की टिकट पे, तुम छाने लगे। जब से चुनाव के दिन करीब आने लगे। नेता जी, चुनाव हार गये, कोई गम न था, राजनीति से ज्यादा ,चैनल चमकाने लगे, जब से चुनाव के दिन, करीब आने लगे।           ...