Best patriotic poem:-इतिहास

                 इतिहास

मैं तो सपना देख रहा हूँ, मैं भी एक इतिहास लिखूंगा।
गॉव-देहात में भारत बसता,शहरों का विकास लिखूँगा।

कैसे-कैसे लोग यहाँ पर, ऐसा कुछ परिहास लिखूंगा।
गौ पे ये लाठी बरसाते, कुत्ता खासम-खास लिखूंगा

जीन्स पहन कर योगा करते, मिलते लोग झकास लिखूंगा।
साड़ी,सलवार विदेशी हो गई,स्कर्ट हो गई खास लिखूंगा।

ना ये देशी, ना विदेशी, मिलता जुलता एहसास लिखूंगा।
पिज़्जा,बर्गर घर-घर मिलता, दाल रोटी उपहास लिखूंगा।

भारत के लोग हैं उसे पकड़ते, पश्चिम का जो त्रास लिखूंगा।
देश का युवा भटक गया हैं, हो के मन उदास लिखूंगा।

गरीब यहाँ हैं जलती दुबा, धनपति बन गया पलाश लिखूंगा।
इम्तिहान को दिये बिना ही, पप्पू होता पास लिखूंगा।

कानून का जब भी डंडा चलता,पप्पू का अवकाश लिखूंगा।
मैरिट लिस्ट में पप्पु अब्बल उसपे दूूधिया प्रकाश लिखूंगा।

पत्थर पे हम क्षीर चढ़ाते,माँ-बाप की भूख और प्यास लिखूंगा।
संसद की चार दिवारी में, निश दिन होता बकबास लिखूंगा।

संविधान का चीर-हरण कर,करते ये अट्टास लिखूंगा।
आर्यावर्त की संस्कृति खो गई, मन में हैं संत्रास लिखूंगा।

किसको हैं अब देश की चिंता,हर गली में जिंदा लाश लिखूंगा।
मैं तो सपना देख रहा हूँ, मैं भी एक इतिहास लिखूंगा।

                                    अनिल कुमार मंडल
                               लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद

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