Best hindi poem-शायरी संग्रह
1* पिछले एक दशक में भाई ,धोखा मेरे साथ हुई,
गुरबत में चुल्हा सुलगाया, उसपे ही बरसात हुई।
लोकतंत्र की अर्थी निकली, ऐसी कुछ हालात हुई,
झूठ बेचकर हज पे जाना, ये कैसी शुरुआत हुई।
अनिल कुमार मंडल
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ ग़ाज़ियाबाद
2* हर तरफ दरख्तों की कमी सी छाई हैं,
लोकतंत्र के बाजार में, गमी सी छाई हैं।
सौदागर यहाँ के खुश हैं, लोकतंत्र बेचकर
जनता के पलकों पे अभी नमी सी छाई हैं।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
3* आदमी जम्हूरियत से अब ऊब रहा हैं,
गैरों से अपनी वीरता क्या खुब रहा है।
देश के गद्दारों ने लोकतंत्र बेच दी,
चढ़ता हुआ सुरज भी मानो डूब रहा है।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ ग़ाज़ियाबाद
4* उन्होंने तो मेरे पेट की अतरीयॉ ही बेच दी,
गरीबी में संजोये हुए अशर्फिया ही बेच दी।
हम रेल के चालक देशहित में, दो लफ्ज क्या कहे,
आरोप ये लग गया की पटरियां ही बेच दी।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ ग़ाज़ियाबाद
5* फेंकने में साहब का जवाब नहीं हैं,
लपेटने में अपना भी हिसाब नहीं है।
विश्वाश से लबालब वो झूठ बोलते,
क्या करें दुसरा कोई आफताब नहीं हैं।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ ग़ाज़ियाबाद
6* मुख से हृदय विदारक करके, जब वो मुझसे रूठ गई,
दिल के टुकड़े-टुकड़े कर, कह गई वो डोरी टुट गई।
विस्थापित मैं घर से होकर, उसको संग ले भागा था।
तन तो मेरा लुट चुका था, धन भी मेरी लुट गई।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ ग़ाज़ियाबाद
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