Best patriotic poem:-धर्म बता दे

        धर्म बता  दे

    हमारा कोई धर्म बता दे,
    हम भी शोर मचाता हैं।
   हिन्दु हो या मुसलमान हो,
      सबको घर पहुँचाते हैं।
    भारतीय रेल के चालक हैं
   हम खुब ही सीटी बजाता हैं।
  भारतीय रेल की रीढ़ की हड्डी,
      हम तो समझे जाते हैं।
      मेरा कोई धर्म बता दे,
     हम भी शोर मचाते हैं।

   मंदिर का चोंगा जब बोला,
     मुसलमान डर जाते हैं।
   मस्जिद में आजान पड़ी तो,
     हिन्दु भी भय खाते हैं।
   राम-रहीम की वाणी सुन,
   हम खून की नदी बहाते हैं।
      मेरा कोई धर्म बता दे,
      हम भी शोर मचाते हैं।

      गोरों ने हमको तोड़ा हैं,
    ये बात समझ नहीं पाते हैं।
      सत्ता मद में डुबे नेता,
       वहीं राग दुहराते हैं।
     फुट डालकर शासन करते,
       मंच से ये चिल्लाते हैं।
     जाति, मजहब यहाँ कराके
      दिल्ली तक छा जाते हैं।
       मेरा कोई धर्म बता दे,
       हम भी शोर मचाते हैं।

                       अनिल कुमार मंडल
                 लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
  

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