Best hindi poem:-शायरी संग्रह
1* फूलों पे शबनम क्या गिरी, माली ने उसको धो दिये।
जम्हूरियत के सरदारों ने उनको पकडकर धो दिये।
रोटी की ख्वाईश में जो घर से निकल कर आये थे,
जाति, धरम की नीति ने, नफरत के बीज बो दिये।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
2*भारत में चंद घरानों ने, जनतंत्र को ही झकझोर दिया,
दिल्ली पे बिजली क्या गिरी, आदिल ने चहकना छोङ दिया।
दिल्ली पे बिजली क्या गिरी, आदिल ने चहकना छोङ दिया।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
3* प्यार के चंद हरफ तुमने मेरे कानों में डाले थे,
वा मुश्किलें हालातों से, मैंने तो कदम संभाले थे।
नाकाम मोहब्बत मेरी होगी, मुझको ऐसा एहसास न था,
नाकाम मोहब्बत मेरी होगी, मुझको ऐसा एहसास न था,
मेरी नियत तो पाक रही, तेरी मकड़ी के जाले थे।
एक झलक पाने के खातिर,घंटो राहे तकता था।
उपहास मेरा तब बनता था, हँसते मुझपे जगवाले थे।
विस्थापित में घर से हुआ,बस तेरा ख्वाब सजाना था,
अपनों की चिंता तुमने की, मेरे भी तो घरवाले थे।
दुनिया मेरी वैरि हो गई, बस तेरा एक सहारा था,
गैरों का दामन थाम लिया, हम भी तो चाहने वाले थे।
एक झलक पाने के खातिर,घंटो राहे तकता था।
उपहास मेरा तब बनता था, हँसते मुझपे जगवाले थे।
विस्थापित में घर से हुआ,बस तेरा ख्वाब सजाना था,
अपनों की चिंता तुमने की, मेरे भी तो घरवाले थे।
दुनिया मेरी वैरि हो गई, बस तेरा एक सहारा था,
गैरों का दामन थाम लिया, हम भी तो चाहने वाले थे।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
4* गगनचुंबी, गगनस्पर्शी इमारतों से भरी हैं ये दिल्ली,
पर पथ कोई पार नहीं करते, जब रास्ता काट गई बिल्ली।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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