Best hindi poem:-कल्की का अवतार
कल्की का अवतार
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भक्तों को राजनीति का मजार मिल गया,
झूठ को खरीदे वो,साहुकार मिल गया।
साहब आजकल झूठ की सीमाएं लांघते,
क्या करें उनकों भी राजदार मिल गया।
आदिल यहाँ पे बिक गए कोड़ी के दाम में,
बंजरभूमि में हर तरफ गुलजार मिल गया।
हम वे बजह उनके लिये नारे लगा दिये,
सकून से जीने का सरोकार मिल गया।
सत्ता में रहे साहब या बेदखल रहे,
उनको तो चलता फिरता बाजार मिल गया।
अंधभक्ति का हर तरफ हुजूम सा चला,
बेबफाई में भी उनको तो संस्कार मिल गया।
वीरो की लाशो पर जो सरकार नाचती,
बा मुश्किले हालत में गुनाहदार मिल गया।
जम्हूरियत में साहब हर गुनाह माफ हैं,
नेता जी को जनता सा हथियार मिल गया।
जो सवाल हम करें तो देशद्रोही हो गये,
वो देश बेच कर भी ईमानदार हो गया।
गुमनामियों में जीने की आदत ऐसी लगी,
कलयुग में मानो कल्की का अवतार मिल गया।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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