Best hindi poem:- दूरदर्शन का दिया खाज
दूरदर्शन का दिया खाज ********************* जो भारतीय समाज हैं,वेंदो में लिखा राज हैं । जो भारतीय समाज हैं, इश्वर की एक आवाज हैं। जो आज का समाज हैं, बर्बादी का आगाज हैं। जो आज का समाज हैं, दूरदर्शन का दिया खाज हैं। उषाकाल जगना, सवेरे ही सो जाना, निरोगियो का राज हैं, मध्यरात्रि में सोना, दोपहर तक हैं सोना, रोगों ने दी आवाज हैं। वे अस्त्र,शस्त्र मार दे, ये वो हसीन ताज हैं। जो आज का समाज हैं, दूरदर्शन का दिया खाज हैं। घुटने को आधे मोड़कर, फ्रेश होने का रिवाज़ हैं भारतीय कमोड गायब हैं, वेस्टर्न का घर पे राज हैं। दातुन,मंजन गायब हैं, केमिकल से बने पेस्ट का, हर घर मे ही साम्रज्य है। ये आज का समाज हैं, दूरदर्शन का दिया खाज हैं। शुद्व तेल घर से गायब हैं, रिफाइन के सर पे ताज हैं, केमिकल से घिरे चेहरे, फैशन का ये हिसाब हैं, तन की सुन्दरता हर तरफ, एक खौफनाक राज हैं, मन की सुन्दरता गायब हैं,रसायन रगड़कर चेहरे पे, बन रहा सरताज हैं। ये आज का समाज हैं, दूरदर्शन का ...