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Showing posts from July, 2019

Best hindi poem:- दूरदर्शन का दिया खाज

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          दूरदर्शन का दिया खाज            *********************   जो भारतीय समाज हैं,वेंदो में लिखा राज हैं । जो भारतीय समाज हैं, इश्वर की एक आवाज हैं।  जो आज का समाज हैं, बर्बादी का आगाज हैं। जो आज का समाज हैं, दूरदर्शन का दिया खाज हैं। उषाकाल जगना, सवेरे ही सो जाना, निरोगियो का राज हैं, मध्यरात्रि में सोना, दोपहर तक हैं सोना, रोगों ने दी आवाज हैं। वे अस्त्र,शस्त्र मार दे, ये वो हसीन ताज हैं। जो आज का समाज हैं, दूरदर्शन का दिया खाज हैं। घुटने को आधे मोड़कर, फ्रेश होने का रिवाज़ हैं भारतीय कमोड गायब हैं, वेस्टर्न का घर पे राज हैं। दातुन,मंजन गायब हैं, केमिकल से बने पेस्ट का,  हर घर मे ही साम्रज्य है। ये आज का समाज हैं, दूरदर्शन का दिया खाज हैं। शुद्व तेल घर से गायब हैं, रिफाइन के सर पे ताज हैं, केमिकल से घिरे चेहरे, फैशन का ये हिसाब हैं, तन की सुन्दरता हर तरफ, एक खौफनाक राज हैं, मन की सुन्दरता गायब हैं,रसायन रगड़कर चेहरे पे, बन रहा सरताज हैं। ये आज का समाज हैं, दूरदर्शन का ...

Best hindi poem-मुसाफिर

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                    मुसाफिर                     *********** जलधि कूल में बैठ मुसाफिर, मोती कैसे पायेगा। श्रृंखलाबद्ध सिंधु की तरेंगे, हर घड़ी तुझे डरायेगा। हौसलों की उड़ान भरो, पानी मे लीक बनाना हैं , जब-जब तुमने जिद ठानी, बेपंख क्षितिज पर छाना हैं। वीचि में नया उमंग लिए जा, भूधर भी शर्माएगी, ईश्वर की सारी रचनाएँ, तुझको राह दिखायेगी। मेहंदी भी कुछ रंग दिखाये, पहले रगड़ी जाती है। तभी तो मेहंदी पीस कर के फिर, अपने रंग में आती हैं। काल का पहिया यू ही चलेगा, कब तुम इसको जानोगे, ईश्वर की तुम अदभुत रचना, इसको कब पहचानोगे। पीड़ सहे जो बाधा में, बाधा भी राह दिखाता हैं, मेहनत से भागा हुआ नर, फिर हाथ मले पछताता है। खाली हाथ यहाँ पे आया, क्या लेकर यहाँ से जाएगा। अंतक के आने से पहले, सौ बार यहाँ मर जायेगा। जलधि कूल मेंं बैैठ मुसाफिर ,सोच यहाँ क्या पायेगा। अपना खून ही आग लगाकर, वापिस घर को आएगा। कुछ दिन तुमको याद करें, फिर यादों को दफ़नायेगा, तेरे अपना कर्म...

Best hindi poem:- चिंगारी

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                   चिंगारी तलवारों में जंग लग गई, कलम की हो रही हार, मैकॉले की शिक्षा ने बिगाड़ा घर,परिवार। देशभक्तों का दमन हुआऔर मंदा हुआ व्यापार, गद्दारों का साथ मिला, लोकतंत्र की हैं ये हार।           दिल्ली में जो बैठेे हैै ,ये हैै कैसी सरकार, कलम कभी पैदा करती थी, सीने में अंगार। कलम यहां जब आग उगलते, हर्फ़ बनती चिंगारी, देश का युवा जग उठता था, नर हो चाहे नारी। आज कलम कहानी लिखती, वहीं गुलामीवाली, मीडिया का तड़का भी लगता, हमें लड़ानेवाली। वही व्य्वस्था लानी होगी, अपनी गुरुकुल वाली, हर युवा में धधक उठे, फिर शांत पड़ी चिंगारी। भारत देश की हर एक, समस्या, वही शिष्य हरेंगे इंडिया से बाहर निकले जो,गुरुकुल में जाके पढ़ेंगे। भारत फिर जग में चमके, बस अलख जगाना होगा,  हर बालक अब चंद्र बने, चाणक्य को आना होगा।                                     अनिल कुमार मंडल ...

Best hindi poem:-बच्चन जी की मधुशाला

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           बच्चन जी की मधुशाला     बच्चन जी के मधुशाला में बचा नहीं पीने वाला, कुछ मोबाइल के अनुचर हो गए,कुछ हो गए धोतीवाला। मदिरा का वो नशा खो गया,खो गया हैं अब वो मतवाला,   सुरा अब विषपान हो गया, जल भी मिलता हैं काला।     मन्दिर मस्ज़िद तोड़े जा रहे, जात-पात का द्वेष बढ़ा, ऐसा हर दिन खबर हैं आता, व्हाट्सएप और ट्विटर वाला। मीडिया अब तो हाला हो गई, ऑफिस उसका मधुशाला,      हर नुक्क्ड़ हर चौराहे पर,मिलता है पीने वाला। ज्ञान बाँटते उल्टे-सीधे, सोशल मीडिया से कटु काला,    जाति-धर्म का वैर कराता, ऐसा तोड़ता है प्याला।  आपस में ये हमें लड़ाकर, मौज करतें मीडिया वाला   कैसे रंजिश खत्म कराये, बच्चन जी की मधुशाला।   बच्चन जी के समय जो होता, न्यूज़ यही ट्वीटर वाला,   सोशल मीडिया बहुत नशीली, फीकी पड़ती मधुशाला।   लड़ते अक्सर हिन्दू मुस्लिम, गुपचुप रहती मधुशाला,    बच्चन जी तब लिख नही पाते मेल कराती मधुशाला।           ...