Best hindi poem:-बच्चन जी की मधुशाला
बच्चन जी की मधुशाला
बच्चन जी के मधुशाला में बचा नहीं पीने वाला,
कुछ मोबाइल के अनुचर हो गए,कुछ हो गए धोतीवाला।
मदिरा का वो नशा खो गया,खो गया हैं अब वो मतवाला,
सुरा अब विषपान हो गया, जल भी मिलता हैं काला।
मन्दिर मस्ज़िद तोड़े जा रहे, जात-पात का द्वेष बढ़ा,
ऐसा हर दिन खबर हैं आता, व्हाट्सएप और ट्विटर वाला।
मीडिया अब तो हाला हो गई, ऑफिस उसका मधुशाला,
हर नुक्क्ड़ हर चौराहे पर,मिलता है पीने वाला।
ज्ञान बाँटते उल्टे-सीधे, सोशल मीडिया से कटु काला,
जाति-धर्म का वैर कराता, ऐसा तोड़ता है प्याला।
आपस में ये हमें लड़ाकर, मौज करतें मीडिया वाला
कैसे रंजिश खत्म कराये, बच्चन जी की मधुशाला।
बच्चन जी के समय जो होता, न्यूज़ यही ट्वीटर वाला,
सोशल मीडिया बहुत नशीली, फीकी पड़ती मधुशाला।
लड़ते अक्सर हिन्दू मुस्लिम, गुपचुप रहती मधुशाला,
बच्चन जी तब लिख नही पाते मेल कराती मधुशाला।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
Phir v madhusala me doodh walle k yahan se jyada bhir rahti h avi v....🤣🤣
ReplyDeleteNice line....👍👍👍