Best hindi poem,How to drink water:-कहो कहाँ पानी पी जाए

          कहो कहाँ पानी पी जाए

              ००००००००००००००००००००००

भूख लगी तो खाना खाया, जठर का हमनें दीप जलाया।
तत्क्षण हमनें पानी पीकर, रोगों को न्योता दे आया।
अग्नि, पानी का मेल नहीं हैं, खाना अब सड़ने को आया।
अन्न सड़े जो पेट के अंदर, सबसे पहले हवा बनाया।
जो-जो रास्ता हवा ये घुमे, ता-ता अंग पे विपदा लाये।
पेट मे बैठ के जलन बढ़ाये, सर चढ़कर सरदर्द कराये।
बी०पी०,शुगर यही बढ़ाये, कर्क रोग तक ये पहुँचाये।
दूजा जो ये काम कराये,कम घनत्व का वसा बढ़ाये।
डियविटीज के जो हैं सहायक, हार्ट अटैक का करें उपाय।
फिर मन मे उत्तसुकता जागी, कहो कहाँ पानी पी जाये।
चालीस मिनट खाने से पहले, दो अनाज के बीच ली जाये।
दो घुट खाने के मध्य में, जठर, अन्न का ताल मिलाये।
चलो ठीक हैं, ना पिये पानी, दूूजा कोई द्रव उपाय।
सुबह मौसमी जूस ले लीजो, दोपहर लीजो छाछ पचाय।
अल्पहार हो रात्री भोजन, ता पे गौ का दूध पी जाये।
 दुध लेकर कुछ कदम टहल लो, जीने का आनंद आ जाये।
क्रम कभी उल्टा मत करियो, रस संबंधी रोग ले आये।
खड़े होकर जो पीवे पानी, घुटना उसका बच नही पाये।
घुट-घुट कर पीजये पानी, एक साथ न गटका जाये।
लार के साथ जो जल जायेगा, अदभुत ये करतब दिखलाय।
गुटखा, तम्बाकु खाने वाले, लार की महिमा समझ न पाये।
इधर भी थूकें, उधर भी थूकें, थूक-थूक के जगह घिनाये।
लार की कीमत वही समझता, लार से जिसके जख्म भराये।
जीव-जन्तु से सीखों पीना, बाणभट्ट के शिष्य कहाये।
अच्छा खाने से अच्छा हैं, जो खाया वो लियो पचाये।
सौ रोगों की एक दवाई, तत्क्षण न पानी पी जाये।
घंटे भर जो रूककर पी लो, पत्थर भी तुम लियो पचाय।

                                   अनिल कुमार मंडल
                             लोको पायलट/ ग़ाज़ियाबाद

DMCA.com Protection Status

                                                                     

Comments

  1. गजब है भाई क्या कविता लिखी है बहुत बढ़िया

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

पुस में नूतन बर्ष

पर्व आज़ादी का

देख तेरे संसार की हालत