Best hindi poem- Rothschild
Rothschild कागज के छोटे टुकड़ो में, ताकत अद्धभूत दे डाली थी। *Rosthchild की करनी ने, बैंको की नींव दे डाली थी। बरसों पहले Rosthchild ने, धारक को ऐसा वचन दिया, ऐसा लगा था लोगों को, दिल से उसने एक *सचन दिया। बैंको के अब तो मायाजाल का, पूरी दुनिया को घेरा हैं। Rosthchild के वंशज का, अब भी बैंकों पे डेरा हैं। हमसब उनके अनुचर बन, केवल सेवा दे पाते हैं। सुबह को घर से जाते हैं, और देर शाम तक आते हैं। बैंक के हम कर्मठ कर्मचारी, सेवा में ऐसे खोये हैं। गैरो को हम नोट बांटते, खुद रोटी को रोये हैं। संचार क्रांति की दुनिया में, हम स्वास्थ भी अपनी गवांते हैं, A c केबिन में बैठ के हम, यंत्रों से नैन लड़ाते हैं। कमर,पीठ सब एक हो जाती, क्या खोते,क्या पाते हैं। सारी उमर की सेवा देकर, थोड़ा सा अर्थ बचाते हैं। संचय किया हुआ सारा धन, वेद्यौ को हम दे आते हैं। उससे जो थोड़ा बचता हैं, वो बच्चे हर ले जाते हैं। चरित्र हमारा हनन हुआ, जब से हम अर्थ में उलझे हैं। Rosthchild की अद्धभुत दु...