Best patriotic poem:-बिन बियाहे दामाद ,रोटी का हो जुगाड़
बिन बियाहे दामाद
वीर पुत्र से भरी धरा थी, जब गुरूकुल था हर राज्य में।
आज यहाँ हर युवा फस गया,पश्चिम से आई नाद में।
बेटियाँ यहाँ की हर दिन लुटती,पुरुषों के जज़्बात में,
देश की जनता आँसू पी रही सरकारी फरियाद में।
मिलावट हमारे रक्त में घोला,रसायन मिला के खाद में,
विचारों पे पाबंदी लगा दी, जियो दे हर हाथ में।
पढ़ा-लिखा हर युवा उलझा, पाटी वाद-विवाद में,
राजनीति में ग्रहण लगा हैं, आजादी के बाद में।
हर दिन देश का सौदा होता अंग्रेजी संवाद में,
केसे कोई कमी निकाले, बिन बियाहे दामाद में।
नेताओं ने देश डुबो दी समझौते के गाद में।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
रोटी का हो जुगाड़
भयावह ये दृश्य हो रहा हलधर करें चीत्कार,
जठर मैं लगी आग का कैसे हो बेड़ा पार।
दिल्ली ने मेरे मालिक खोया हैं संस्कार,
संसद के मेरे आका सुन लो मेरी पुकार।
दे-दो हमें तुम रोटी न छेड़ो मन के तार,
सारे गुनाह छोटे, तुझपर न हो अब वार।
पकोड़े पड़े हैं ठंढे मंदा हुआ व्यापार,
पश्चिम का खाना खाके,डॉक्टर पड़े बीमार।
युगपुरुष कोई आयेंगे तभी तो हो उद्धार
दुजा उद्देश्य अपना निपटेंगे भ्रष्टाचार,
उससे पहले इस देश में रोटी का हो जुगाड़
इस देश के युवा को दे दो कोई रोजगार।
इस देश के युवा को दे-दो कोई रोजगार।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
Kya baat h...essbar combo kavita...����
ReplyDeleteएक छोटी हो रहीं थी।
DeleteBahut achha Bhai saheb.tumhari Kavita bahut hi paak aur saaf h ise kavi ganda mat karna.
ReplyDeleteजी इसका ख्याल रखने की कोशिश करूँगा
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