Best patriotic poem:-हिमशिखर

     हिमशिखर

हे! हिमशिखर पर चढ़ने वाले,
मित्र मुझे एक बात बता ।
कहाँ से तुमने वीरता पाई,
कहाँ मिला,ऐसी जज्बात बता।
दुर्गम पथ जो तुमने रौंदा,
मैं उसको सुन कांप गया।
कहाँ से तुमने डर जीता,
डर को जो डरा दे बात बता।
हे!हिमशिखर पर चढ़ने वाले,
मित्र मुझे एक बात बता।

बर्फ के दर्रे, ठण्ड हवाएं,
बर्फीली बरसात बता।
हिमखंडों का यु ही फिसलना,
कैसे बीती थी रात बता।
तेरे विजय की गाथा का,
लोगों से मैं गुणगान करू।
हे!वीर पुत्र तुम भारत के,
मैं कहाँ करू शुरुआत बता।

मौत से खेले आंखमिचौली,
पर्वतीय हालात बता।
कैसे तुम खाते-पीते थे,
बर्फीली हर त्रास बता।
मौत को तुम तो मात दे आये,
कुछ हुआ तो वो आघात बता।
तेरा मेहनत, तेरा हौसला,
ईश्वर की सौगात बता।
हे!हिमशिखर पर चढ़ने वाले,
मित्र मुझे एक बात बता।
                       
     
    प्रेरणाश्रोत :-   
मेरे द्वारा लिखी गई ये कविता मेरे देशभक्त  मित्र
जय प्रकाश के लिये लिखा हैं, जिसने अभी कुछ दिनों
पहले mt everest की चढ़ाई करके वापिस लौटा है,
मैं उसकी वीरता,उसका हौशला और उसके जिदद को
नमन करता हूँ।

                             अनिल कुमार मंडल
                        लोको पायलट/ ग़ाज़ियाबाद
                          संपर्क सूत्र:-9205028055
                               

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