Best hindi poem Shopping complex:-The मॉल

               The मॉल

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आज हम भारतवासी पश्चिम की नकल करते-करते न तो हम पश्चिम के रहे ना ही अपनी खुद की संस्कृति बचा पा रहे है, जिसका फायदा इन विदेशी कंपनियों को होता हैं, ये विदेशी कंपनियां हमें बड़े सहज तरीके से मुर्ख बनाती हैं और हर दिन हम इसके जाल में उलझते जा रहे हैं।
                                              आज मैं आपको विदेशी कंपनियां द्वारा स्थापित मॉल और शॉपिंग काम्प्लेक्स की कुछ अहम बातें बताना चाहता हूँ।शायद ये आपको पहले से पता हो लेकिन उसे अपने तक सिमित रखकर आप समाज को जागृत नही कर रहे हैं तो आपकी जानकारी व्यर्थ है,भारतीय समाज मे बस ज्ञान ही वो दौलत हैं जो बाँटने से बढ़ती हैं अतः अगर आपके पास कोई जानकारी हैं जो हमारे समाज के हित में हैं तो उसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाये जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हो सकें।
                                            आप या हम जब भी कभी घर से बाहर सामान खरीदने निकलते हैं तो अपना एक लक्ष्य होता है अपनी एक सामान की सुचि होती है जो हमारी जरूरत को पुरा करती है।अब उस समान की सुचि लिए जब हम किसी मॉल या शापिंग कॉम्प्लेक्स में जाते हैं तो हमें एक ट्राँली या टोकरी दे दीजाती हैं,आप इसको इस तरीके से समझे की आपने अपने सुचि में दाल,चावल ,नमक ,मशाला और बच्चो की कुछ कॉपी,कलम की सुचि लिए पहुँचे और आपको टोकरी दे दी गई,अब आप इसका ध्यान रखें की आपके जरुरत की सामाग्री आखिरी में रखी मिलेगी जैसे दाल,चावल जिसको आप खरीदने आये है या जिसको खरीदे बिना आप मॉल से बाहर नही जाएगें,किन्तु वहाँ तक पहुँचने के क्रम में रास्ते में कुछ आर्कषक वस्तुए मिलेगी,जिसके ऊपर बडे.-बड़े अक्षरों में डिसकाउंल्ट के साथ उसकी कीमत लिखी होगी और मनःमोहक तरीके से सजी होगी।जिसे कई बार आप न चाहते हुए भी आप खरीद लेंगे।यहाँ इस बात का आप ध्यान दे की आप की जरूरत कॉपी-कलम की थी जो बड़े से टोकरी में आप को कुछ खालीपन का एहसास दिलाएगा या सभी की भरी टोकरी देखकर आपके अंदर अपने आप को छोटा या कम पैसे वाला दिखयेगा (inferiority complex) जो आज के दौड़ के युवा को किसी हालत में मंजूर नही हैं।
लिहाजा आप उस टोकरी में एक या दो सामान ऐसा जरूर खरीद लेंगे जिसकी शायद आप को जरूरत नहीं थी।
                                                         दुसरी बात आप जब मॉल जाते हैं, या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स जाते है तो अक्सर बच्चें आपके साथ होते हैं तो उसके लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स वाले बड़ी चतुराई से बिस्किट और चॉकलेट उसी उचाई पे रखते हैं जहाँ की आपके बच्चों का हाथ पहुँचे और देखकर, उठाकर जिद्द करें तथा आपके मर्ज़ी के खिलाफ उठाकर टोकरी में डाल देते हैं और आप निःसंकोच उसके जिद्द को मान लेते हैं और यह सोचते हुए मानते है कि अगर नहीं लिया तो लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे की इतना कमा रहा है,इतनी बड़ी मॉंल में बच्चों को लेकर आया है और इतनी सस्ती बिस्कुट या चाकलेट नही खरीद रहा हैं,अपने बच्चों के लिए बहुत निर्दय या खड़ूस पिता होगा तो इससे बचने के लिए हम कई बार बच्चों की ज़िद के आगे बेबस और लाचार होकर कुछ सामान खरीद लाते है।
                           तीसरी बात जो में आपसे कहना चाहता हूँ वो ये हैं कि जब आप किसी शॉपिंग काम्प्लेक्स या मॉल में जाते हैं तो वहाँ जिस रास्ते से आप अंदर जाएंगे उस रास्ते से बाहर नही आ सकते दोंनो दरवाजे अलग-अलग मिलेंगे जिससे कि आप ज्यादा से ज्यादा वक्त उस कॉम्प्लेक्स में गुजारे तथा ज्यादा से ज्यादा वस्तुएं खरीदे और हां आपके जरूरत की सामाग्री भी सबसे आखिरी में ही मिलेगी।मतलब ये हैं कि आप उस कॉम्प्लेक्स के हर डिपार्टमेंट को घुमे और जो भी सामाग्री आपको मनःमोहक लगती हो उसे खरीदे बेशक आपको उसकी जरूरत न हो और इस काम के लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में काम करने वाले लड़के आपको बड़ी मासुमियत से सर्, सर् करके सम्मोहित करेंगे।उनको ट्रेंनिंग भी कुछ इसी तरीके की दी जाती हैं।
                                      चौथी पर आखिरी नही आप जब भुगतान करने जा रहे होंगे तो आप को थोड़ी देर इंतजार कराया जाएगा जिससे कि आप भुले हुए सामान भी ले लें या वो समान भी ले ले जिसके लिए आप सहमत नहीं थे पर आपकी पत्नी लेना चाहती थी।फिर आपके एक,दो ,तीन या चार रुपये तक की वो पैसे वापिस नहीं करेगा आपको टॉफी ही खिलायेगा।
             तो ये कुछ खास तरीके हैं जिससे वो हमें मुर्ख बनाते हैं और बड़े शौक से हम भी खुशी-खुशी लुट कर हँसते हुए घर आ जाते हैं।अतः अब अगली बार जब भी आप शॉपिंग काम्प्लेक्स या मॉल जाए तो यह दृढ़ निश्चय करके जाए कि आप इस मल्टीनेशनल कंपनीयों द्वारा विकसित मॉल या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के मायाजाल में न उलझे और हो सके तो आज ही संकल्प ले और हर वस्तु अपने आसपास के दुकानदार से ही खरीदे जो आप के सुख-दुख में आप का सहभागी बन सकता हैं और 2 रुपया कम भी ले सकता हैं और 20 ग्राम ज्यादा भी दे सकता हैं जो मॉल या शॉपिंग काम्प्लेक्स वाला कतई नहीं करेगा। 
                                     
                                        अनिल कुमार मंडल
                                    लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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Comments

  1. सुन्दर विचार के साथ अच्छी जानकारी दिया है आपने

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  2. शुक्रिया भाई जी

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