Poem of love:- माता

       माता

आप मेरी हो ईश्वर माता,
आप ही हो परमेश्वर माता।
मुझपे माता मत चिल्लाओ,
तुम अपना ना खून जलाओ।
मैं हूं तेरा प्यारा ललना,
मानूँगा तेरा हर कहना।
सुबह मुझे हर रोज जगाती
मुझे संवार स्कूल भेजती।
स्कूल भेज मुझे बनती बाई,
घर की करती साफ सफाई।
बाहर का खाना मैं नहीं खाता,
आप जो देती वहीं सुहाता।
खाने में भर देती प्यार,
आप पे जाऊ दुनिया हार।
मेरे स्वास्थ्य का रखती ध्यान,
स्वस्थ शरीर ही पाता ज्ञान।
माँ बनना हैं एक तपस्या,
बच्चों की करती दूूूर समस्या।
पापा का भी रखती ध्यान,
तुम ही हो इस घर की शान।
प्राणवायु तुम घर की माता,
फुर्सत से तुम्हें गढ़ा विधाता।

                   अनिल कुमार मंडल
              लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
                                                       
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