Beat Patriotic poem :-सपनों का भारत

           सपनों का भारत

               *****************
भगतसिंह के सपनों का मैं हिन्द बनाने निकला हूँ।
गुरुकुल और गौशाले से दीप जला कर निकला हूँ।
 
सौ करोड़ हम भारतवासी गोरों के गुलाम हुए,
कुछ उनका शातिरपन था,थोड़ा अपने बईमान हुए|
 
थोड़ा हम नादान हुए पर ज्यादा वो हैवान हुए।
आज तुझे एक राज बताकर तुझे जगाने निकला हूँ।
मैं वीरों के सपनों का जय हिन्द बनाने निकला हूँ।
 
वेदों की भाषा सीखा फिर, आतिथ्य लिया और क्षमा किया,
यही हमारी दो कमजोरी विदेशी को रमा किया
वैचारिक मतभेद जहाँ,वेदों की भाषा झुठ हुई,
जब-जब हमनें गीत ये गाये तब-तब अपनी लूट हुई।
आगे तुम धोखा मत खाना, तुम्हें बताने निकला हूँ ।
भगतसिंह के सपनों का मैं हिन्द बनाने निकला हूँ।
मीरजाफर ने एक सिराजु सत्तावन में मरवाया था,
गोरों की हाथ मे सत्ता देकर क्या खोया क्या पाया था।
हर गली मोहल्ले मीरजाफर, अंजाम वतन का क्या होगा,
जाफर के बंशज सत्ता में, अपने भारत का क्या होगा।
हे।नये दौर के राजगुरु, तुमको समझाने निकला हूँ।
वीर शहीद के सपनों को, साकार कराने निकला हूँ।
 गरुकुल और गौशाले से दीप जला कर निकला हूँ।
भगत सिंह के सपनों का मैं हिन्द बनाने निकला हूँ।

                                 अनिल कुमार मंडल
                            लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
                            संपर्क सूत्र:-9205028055
                                                               
DMCA.com Protection Status

Comments

Popular posts from this blog

Best hindi poem -मजदूर

पुस में नूतन बर्ष

देख तेरे संसार की हालत