Best hindi poem :-पहले वाली बात कहाँ
पहले वाली बात कहाँ गाँव भी मेरा बदल गया हैं, पहले वाली बात कहाँ । प्रेमपाश में गांव बंधा था, वैसी अब जज्बात कहाँ। लट्टु का वो खेल खो गया, रेत पे नाम का मेल खो गया कौड़ी की बिसात खो गई, गुड़ियों की बारात खो गई। बच्चे भी अब डरे-डरे हैं, हम भी तो सहमे-सहमे हैं, ना जाने कब कौन सी मोड़ पे, कर दे लोग आघात कहाँ, गाँव भी मेरा बदल गया हैं, पहले वाली बात कहाँ । प्रेमपाश में गांव बंधा था, वैसी अब जज्बात कहाँ गलियों में धूल उड़ा करती थी, पनघट पे परियां रहती थी, विद्यालय से भाग के आना, मंदिर में जा के छुप जाना, इमली, बैर चुरा के खाना, घंटों-घंटों पल में बिताना, चलते फिरते मिलते हैं अब होती हैं मुलाकात कहाँ, गाँव भी मेरा बदल गया हैं, पहले वाली बात कहाँ । सड़कों वाली धूल सिमट गई, फल वाली बागाने मिट गई, बागों में झुला करते थे, श्यामा संग गाया करते थे। कानफोड़ू संगीत नही था, नंगेपन का नृत्य नहीं था। कोई इनको बंद करा दे, पर ऐसी शुरुआत कहाँ। गाँव भी मेरा...