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Best hindi poem:-कोरोना एक चेतावनी

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कोरोना एक चेतावनी    प्रकृति के एक वार से, देखो विचलित हैं संसार। पंचतत्व से बना ये तन है ,जिनका तो कर लो सत्कार। जंगल काटे, पर्वत तोड़ी, जीव-जन्तु का किया संहार।  अहंकार में ऐसे डूबे,  पंचतत्व का निर्मित सार। पंचभूत को मैला करते,  खुद को कहते तारणहार।    प्रकृति के एक वार से,  देखो विचलित हैं संसार। जीव-जन्तु जब काट रहे थे,  उसने भी की थी चीत्कार। याद करो तुम उनकी तङप को  क्या तुम उतना तड़पे यार। तन मन तेरा जिनसे फलित हैं,  क्या तुम मानते हो उपकार। जीते जी तेरी सेवा की,  मर कर के भी दिया हैं प्यार।    प्रकृति के एक वार से  देखो विचलित हैं संसार। जन्म से लेकर हरेक कर्म में ,मान लो तुम उनका उपकार। कोरोना हैं एक चेतावनी,  प्रकृति से अब तो मान लो हार। उनका जो एहसान मान लो ,जन्म के फेरे उतरो पार। जीव हत्या जो रोक दे मानव,  मानवता हो जय जय कार।   प्रकृति के एक वार से , देखो विचलित हैं संसार।               ...