Best hindi poem:-कोरोना एक चेतावनी
कोरोना एक चेतावनी
पंचतत्व से बना ये तन है
,जिनका तो कर लो सत्कार।
,जिनका तो कर लो सत्कार।
जंगल काटे, पर्वत तोड़ी,
जीव-जन्तु का किया संहार।
जीव-जन्तु का किया संहार।
अहंकार में ऐसे डूबे,
पंचतत्व का निर्मित सार।
पंचतत्व का निर्मित सार।
पंचभूत को मैला करते,
खुद को कहते तारणहार।
खुद को कहते तारणहार।
प्रकृति के एक वार से,
देखो विचलित हैं संसार।
देखो विचलित हैं संसार।
याद करो तुम उनकी तङप को
क्या तुम उतना तड़पे यार।
क्या तुम उतना तड़पे यार।
तन मन तेरा जिनसे फलित हैं,
क्या तुम मानते हो उपकार।
क्या तुम मानते हो उपकार।
जीते जी तेरी सेवा की,
मर कर के भी दिया हैं प्यार।
मर कर के भी दिया हैं प्यार।
प्रकृति के एक वार से
देखो विचलित हैं संसार।
देखो विचलित हैं संसार।
जन्म से लेकर हरेक कर्म में
,मान लो तुम उनका उपकार।
,मान लो तुम उनका उपकार।
कोरोना हैं एक चेतावनी,
प्रकृति से अब तो मान लो हार।
प्रकृति से अब तो मान लो हार।
उनका जो एहसान मान लो
,जन्म के फेरे उतरो पार।
,जन्म के फेरे उतरो पार।
जीव हत्या जो रोक दे मानव,
मानवता हो जय जय कार।
मानवता हो जय जय कार।
प्रकृति के एक वार से ,
देखो विचलित हैं संसार।
देखो विचलित हैं संसार।
अनिल कुमार मंडल
संपर्क सूत्र:-9205028055
अति उत्तम कार्य धन्यवाद प्रभु आपका बहुत बहुत आभार
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