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Showing posts from April, 2020

Best hindi poem :-सत्य

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आज दिनांंक:-19/04/2020 को जब घर से बाहर लोगो को लोकडौन में रोटी खिलाने निकला  तो अनायाश ये विचार उत्तपन हुआ जो कविता के माध्यम से आपके बीच पहुचाने की कोशिश कर रहा हूँ कविता का शीर्षक हैं सत्य का बोध:-         सत्य का बोध         ********* तम का दीप लिये हाथों में, मानव तन को हाँकने आया। सत्य का हमको बोध कराया, कोरोना ने हमें जगाया। भटके थे जो राही बाट से, अंतक का भय उसपे छाया। माया-मोह में डूब गये थे, डर से थोड़ा ऊपर आया। जीव हत्या कर खाने वाले, दाल रोटी से पेट भर आया। पिज्जा, बर्गर दूर हो गया, पेड़-पौधों से हाथ मिलाया। अकड़ रहा था मानव कब से, मौत को जैसे मात दे आया। कोरोना ने हमें जगाया, सत्य का हमको बोध कराया। नीले गगन में उड़ने वाले, देखो भूमि पे वापिस आया। प्राणवायु, और रोटी क्या हैं, क्षण भर में इसने समझाया। हमको रोटी देने वाले, हलधर का सम्मान कराया। रिश्ते नाते सभी हैं झूठे, अटल सत्य का बोध कराया। इतने पे जो समझ न पाया। ज्ञान चक्षु को खोल के देखो, जीवन से अब तक क्या पाया। पाप...

Best Motivational poem-घी के दिये

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           घी के दीये जीवन लक्ष्य जो चुना हैं तुमनें, उसको कैसे पाओगे। केवल घी के दीये जलाकर,कैसे स्वर्ग को जाओगे, गौ हत्या को रोक लो वरना अंतकाल पछताओगे। सूर्यकेतु और गलकम्बल से सुसज्जित है जो माता, उनकी तुम सेवा कर देखो, जो रंभाती हैं माता। दूध दही तुम खाकर इनका पहलवान बन जाओगे, माँ की हत्या देखने वाले, पुत्र कहाँ बन पाओगे। केवल घी के दीये जलाकर,ईश्वर को नहीं पाओगे। गौ हत्या को रोक लो वरना, सीधे नरक में जाओगे। जीवन लक्ष्य जो चुना हैं तुमनें, पुरा न कर पाओगे। तुम उनकी सेवा कर देखो, दुविधा सारी हर लेगी। गौमय बस्ते माता लक्ष्मी, धन-धान्य से भर देंगी। मूत्रे बसते देव धन्वंतरि, रोग वो सारे हर लेंगे। बैतरणी तुम पार करोगें, जीवन रस तुम पाओगे। केवल घी के दिये जलाकर,अमर नहीं हो पाओगे, गौ की हत्या रोक लो वरना, अंतकाल पछताओगे। जीवन में जो लक्ष्य चुना हैं, उसको कैसे पाओगे। गीता में तलवार छुपा कर, गौ की हत्या होती हैं, सबकुछ हम पे वार के देखो, मैया फिर भी रोती हैं। सत्ता के बदनाम सिपाही, गौ हत्या नही रोकेंगे, हम गौसेवक प्रण कर ले जो,माँ क...

Best patriotic poem- सिली माचिस

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     सिली माचिस  सिली माचिस पास हमारे,  तम को दूर भगाए कैसे।  गद्दारो की फौज खड़ी हैं,  इसको अब समझाये कैसे।  कुछ लोगों ने दीप जलाकर,  राह तिमिर का रोका था।   उनपे भी जब पत्थर बरसे,  नम आंखों को भाये कैसे।  सिली माचिस पास हमारे,  तम को दूर भगाये कैसे। मोदी जी ने राह दिखाई, मानवता को जगाये कैसे। धर्मगुरु कुछ एक न सुनते, धार्मिकता को भुलाये कैसे। भुखे को रोटी बटवाकर, हमनें कडीयॉ तोङी थी,  करोना का कहर इधर हैं, पार उधर हम जाये कैसे। सिली माचिस पास हमारे, तम को दूर भगाये कैसे। न कर में त्रिशूल था कोई, न था जुबा पे जयकारा , आपस में कोरोना बांटे, जन्नत को हम जाये कैसे। टीका-टोपी में हम उलझे मानवता को निभाये कैसे। चाईना से जो चला तिमिर हैं, दीपक में लौ लाये कैसे। सिली माचिस पास हमारे, तम को दूर भगाये कैसे।               अनिल कुमार मंडल         लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद       ...