Best Motivational poem-घी के दिये

           घी के दीये

जीवन लक्ष्य जो चुना हैं तुमनें, उसको कैसे पाओगे।
केवल घी के दीये जलाकर,कैसे स्वर्ग को जाओगे,
गौ हत्या को रोक लो वरना अंतकाल पछताओगे।
सूर्यकेतु और गलकम्बल से सुसज्जित है जो माता,
उनकी तुम सेवा कर देखो, जो रंभाती हैं माता।
दूध दही तुम खाकर इनका पहलवान बन जाओगे,
माँ की हत्या देखने वाले, पुत्र कहाँ बन पाओगे।
केवल घी के दीये जलाकर,ईश्वर को नहीं पाओगे।
गौ हत्या को रोक लो वरना, सीधे नरक में जाओगे।
जीवन लक्ष्य जो चुना हैं तुमनें, पुरा न कर पाओगे।

तुम उनकी सेवा कर देखो, दुविधा सारी हर लेगी।
गौमय बस्ते माता लक्ष्मी, धन-धान्य से भर देंगी।
मूत्रे बसते देव धन्वंतरि, रोग वो सारे हर लेंगे।
बैतरणी तुम पार करोगें, जीवन रस तुम पाओगे।
केवल घी के दिये जलाकर,अमर नहीं हो पाओगे,
गौ की हत्या रोक लो वरना, अंतकाल पछताओगे।
जीवन में जो लक्ष्य चुना हैं, उसको कैसे पाओगे।

गीता में तलवार छुपा कर, गौ की हत्या होती हैं,
सबकुछ हम पे वार के देखो, मैया फिर भी रोती हैं।
सत्ता के बदनाम सिपाही, गौ हत्या नही रोकेंगे,
हम गौसेवक प्रण कर ले जो,माँ की हत्या रोकेंगे।
जीवन का जो लक्ष्य है अपना,मार्ग सरल कर पाओगे।

केवल घी के दिये जलाकर, हिन्दू नही बन पाओगे,
गौ की हत्या रोक लो वरना,अंतकाल पछताओगे।
केवल घी के दिये जलाकर,तुम बैकुंठ न पाओगे।
गौ की हत्या रोक लो भाई,जीवन में सब पाओगे।


                                    अनिल कुमार मंडल
                              लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
                               संपर्क सूत्र:-9205028055

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