Best hindi poem भूख
भूख जागो-जागो दिल्ली दरबार,सड़क पे देखो हाहाकार। महामारी से कैसे बचेंगे,चला गया जिनका रोजगार। माता,बच्चे पिता भी रोये,छाती पीट भरे चीत्कार कौन हैं जिम्मेदार,सड़क पे देखो हाहाकार। राज्य कहे अपनी मजबूरी,केन्द्र भी लेते पल्ला झाड़। जागो-जागो दिल्ली दरबार,सड़क पे देखो हाहाकार। कोरोना से अगर ये मरते,केवल होती इनकी हार। कल तक जो थे जग निर्माता,आज रो रहे बीच बाजार। गाँव पहुँचे,हैं इनकी हसरत वक़्त के हाथों हैं लाचार, चलते-चलते चप्पल टूटे स्वेद सुुखेे पर है तैयार। मीलों चले हैं कोसो बांकी भूख से ये करते तकरार। कौन हैं इसका जिम्मेदार,सड़क पे देखो हाहाकार। कुछ युवा ने हौसला,करके साम, दाम से हो गए पार। दुधमुंहे माता के हीय से,बंद हो गया क्षीर की धार। तुम कहते इसे एक चुनौती,उदर नहीं करते स्वीकार। पेट की अग्नि खाना मांगे,मानव तन का जो श्रृंगार। रोटी की मुझे आस हैं तुमसे,उसपे भी हो रही हैं रार। कौन हैं इनका जिम्मेदार।सड़क पे देखो हाहाकार। मन की बात सुनेंगे साहब,जान बचें तब करें विचार। गाँव पहुँचकर देंगे दुआएं,दिल...