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Showing posts from May, 2020

Best hindi poem भूख

            भूख जागो-जागो दिल्ली दरबार,सड़क पे देखो हाहाकार। महामारी से कैसे बचेंगे,चला गया जिनका रोजगार। माता,बच्चे पिता भी रोये,छाती पीट भरे चीत्कार  कौन हैं जिम्मेदार,सड़क पे देखो हाहाकार। राज्य कहे अपनी मजबूरी,केन्द्र भी लेते पल्ला झाड़। जागो-जागो दिल्ली दरबार,सड़क पे देखो हाहाकार। कोरोना से अगर ये मरते,केवल होती इनकी हार। कल तक जो थे जग निर्माता,आज रो रहे बीच बाजार। गाँव पहुँचे,हैं इनकी हसरत वक़्त के हाथों हैं लाचार, चलते-चलते चप्पल टूटे स्वेद सुुखेे पर है तैयार। मीलों चले हैं कोसो बांकी भूख से ये करते तकरार। कौन हैं इसका जिम्मेदार,सड़क पे देखो हाहाकार। कुछ युवा ने हौसला,करके साम, दाम से हो गए पार। दुधमुंहे माता के हीय से,बंद हो गया क्षीर की धार। तुम कहते इसे एक चुनौती,उदर नहीं करते स्वीकार। पेट की अग्नि खाना मांगे,मानव तन का जो श्रृंगार। रोटी की मुझे आस हैं तुमसे,उसपे भी हो रही हैं रार। कौन हैं इनका जिम्मेदार।सड़क पे देखो हाहाकार। मन की बात सुनेंगे साहब,जान बचें तब करें विचार। गाँव पहुँचकर देंगे दुआएं,दिल...

Best hindi poem-मयखाना

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       मयखाना महीनों भर हम रहे हैं प्यासे, मिला नहीं मय का प्याला। इतने दिनों में हमनें जाना, बिन मय हम जीनेवाला। अब जब हमनें रिश्ता तोड़ा, मय से और मयखाने से। फिर से सामने सजधज आ गई। नये रूप में मधुशाला।                    कफन बांध के साकी निकला,                     लंबी लोगों की माला।                     बूंद-बूंद से मरे कोरोना,                     एक ही रट जपनेवाला।                     सड़क थी खाली, सूूनी गलियों                     काम धंधे सब बंद पड़े।                     बाजारों में लाई रौनक,                      एक अकेली ...

Best hindi poem:-आँसू

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            आँसू 1/  भावनाओं का लिये समंदर,         बुंदो में तब्दील हुआ।    दुख में जब भी नैन से छलके,       दिल मे चुभता कील हुआ।      सुख में जब ये आँसू बरसे,     जीवन सरस सलिल हुआ।    दो ही समय हैं इस जीवन के,    तीसरा कोई कहे दलील हुआ। 2/  अश्क बनके आंखों से बरसे,      जब मानव जीने को तरसे।      भावनाओं का ये अम्बार,      सुख-दुख हैं इनके श्रृंगार।      लब खामोश पर बोलते नैन,      आशिक सुन होते बेचैन।      नैनों ने छलकाया लोर,      सुरमा होते भाव विभोर।      जहाँ चलते आँसू के वार,      पत्थर दिल की होती हार |   3/  भावनाओं का लिए समंदर निकला जब मैं बीच बाजार,       बेबस,लाचारों के बीच में हँसता दिख गया अत्याचार।      जाति, धर्...

Best hindi poem -मजदूर

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मजदूर दिवस के अवसर पर इस देश के सभी मजदूरों को समर्पित मेरी ये कविता।                     मजदूर परमेश्वर की प्यारी रचना, फिर भी सुख से दूर हैं हम। ईमान का सौदा कर नहीं सकते,इसीलिए मजदूर हैं हम। महलों और मीनारों में,धन तो लगा हैं सेठों का। हर ईंटो को लहू से सींचा,बस इतना मजबूर है हम। परमेश्वर की प्यारी रचना हैं, फिर भी सुख से दूर हैं हम। राजाओं की भरी तिजोरी, मेरे खू से सजती है। मंदिर की घंटी भी देखो, मेरे दम से बजती है। कारखाने की दूषित हवा को, पीने को मजबूर है हम। परमेश्वर की प्यारी रचना,फिर भी सुख से दूर हैं हम। पगडंडी पे चले हैं कोसो,शस्य को तुम तक लाने को। लेकिन खुद को कभी न मिलती, चुपड़ी रोटी खाने को। कभी-कभी तो ऐसा लगता हैं,निर्धनता के कसूर हैं हम। परमेश्वर की प्यारी रचना, फिर भी सुख से दूर है हम। पूर्व जन्म का फल हैं कोई,या धोखा बईमानों का। दाता से न भेद हुआ हैं, काम हैं ये शैतानों का। मेरे दम पे दुनिया चलती,इसीलिए मगरूर हैं हम। स्वार्थ भरी इस दुनिया में,मेहनत के लिए मशहूर हैं हम, परमे...