Best hindi poem -मजदूर

मजदूर दिवस के अवसर पर इस देश के सभी

मजदूरों को समर्पित मेरी ये कविता।

                    मजदूर

परमेश्वर की प्यारी रचना, फिर भी सुख से दूर हैं हम।
ईमान का सौदा कर नहीं सकते,इसीलिए मजदूर हैं हम।
महलों और मीनारों में,धन तो लगा हैं सेठों का।
हर ईंटो को लहू से सींचा,बस इतना मजबूर है हम।
परमेश्वर की प्यारी रचना हैं, फिर भी सुख से दूर हैं हम।
राजाओं की भरी तिजोरी, मेरे खू से सजती है।
मंदिर की घंटी भी देखो, मेरे दम से बजती है।
कारखाने की दूषित हवा को, पीने को मजबूर है हम।
परमेश्वर की प्यारी रचना,फिर भी सुख से दूर हैं हम।
पगडंडी पे चले हैं कोसो,शस्य को तुम तक लाने को।
लेकिन खुद को कभी न मिलती, चुपड़ी रोटी खाने को।
कभी-कभी तो ऐसा लगता हैं,निर्धनता के कसूर हैं हम।
परमेश्वर की प्यारी रचना, फिर भी सुख से दूर है हम।
पूर्व जन्म का फल हैं कोई,या धोखा बईमानों का।
दाता से न भेद हुआ हैं, काम हैं ये शैतानों का।
मेरे दम पे दुनिया चलती,इसीलिए मगरूर हैं हम।
स्वार्थ भरी इस दुनिया में,मेहनत के लिए मशहूर हैं हम,
परमेश्वर की अदभुत रचना,फिर भी सुख से दूर हैं हम।


                                 अनिल कुमार मंडल
                           लोको पायलट/गाज़ियाबाद
                          संपर्क सुत्र:-9205028055



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Comments

  1. प्रयास करते रहे सच्चे मन से सफलता जरूर मिलेगी

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    1. जी आपका आशीर्वाद चाहिए, बना रहे तो सब संभव है।

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