गलकंबल वाली माता
गलकंबल वाली माता गलकंबल वाली माता से हम आशीष तो पाएं रे गौ माता की रक्षा कर हम जीवन सफल बनाएं रे जिस घर में माता की सेवा, घर तीर्थ बन जाए रे गलकंबल वाली माता से हम आशीष तो पाए रे जिस घर में माता रहती हैं वास्तु दोष कट जाए रे प्राणवायु की धारा बहती कष्ट सभी मिट जाएं रे इनको छूने मात्र से देखो रक्तचाप हट जाए रे कलकंबल वाली माता से हम आशीष तो पाए रे जलीय तत्व ये दूध से देती,अग्नि घृत से पाए रे छाछ देता आकाशीय तत्व को, भूमि गोमय से पाए रे मुत्रे वस्ते वैद्यनाथ जो सभी रोग हर जाएं रे गलकंबल वाली माता से हम आशीष तो पाए रे पंचतत्व से बना यह तन है माता सब दे पाए रे सभी सुखों को देने वाली खुद ही सुख ना पाए रे सुय॔केतु वाली माता से आंख मिला न पाए रे गलकंबल वाली माता को हम तो बचा न पाए रे कुछ गोसेवक इन्हें बचाते वांकी को समझाये रे जो माता की सेवा करते वो बैकुंठ को जाए रे गोभक्षक को बुरी मौत ऐसा कानुन बनाए रे गौ माता की सेवा कर हम जनम सफल कर जाए रे दुध, मलाई, मेवा से हम भौतिक तना को सजाए रे...