Posts

Showing posts from August, 2020

मेरा भी उद्धार

                   मेरा भी उद्धार रोटी का जुगाड़ करा के कर दो मेरा भी उद्धार । बेकारी बढ़ती ही जा रही कैसे होगा बेड़ा पार । बड़ा नहीं हम मांगे साहब छोटा सा दे दो रोजगार । जितने में हम जीवित रह सके मानेंगे तेरा उपकार । रोटी का जुगाड़ करा कर दो मेरा भी उद्धार । पढ़ लिख कर हम डिग्री लाए बिन रोटी सारे बेकार।  मुझे पढ़ाने के खातिर दादी के बिक गए गहने चार । बापू जो अक्सर कहते थे पढ़ लिख कर बन जा होशियार । उसके सपने बिखर गए जब बेटा बैठा बिन रोजगार । रोटी का जुगाड़ करा कर मेरा भी कर दो उद्धार । हाथ जोड़कर याचना करते सुन लो मेरे तारणहार । अभी तो संख्या इतनी है कि,हो सकता है इस पे विचार।  पांच बरस आगे की सोचो,होगा जब रोटी पर रार । दिल्ली फिर दिल्ली ना रहेगी,गुजेगी बस चीख पुकार । रोटी का जुगाड़ करा कर कर दो मेरा भी उद्धार । तुम ना रहोगे कुर्सी लेकर,मैं ना करूंगा कलम से वार । समय वो कैसा निद॔य, होगा चारों ओर हो अत्याचार । इससे कोई कहां बचेगा,भूख से जब होगी तकरार । रोटी का जुगाड़ करा के, कर दो मेरा भी उद्धार । बेकारी बढ़ती ही जा रही,कै...

ताजा भात

   बापु को रोजगार दिला दो, हम भी खाएं ताजा भात । मांग के अपना गुजर बसर है,  हमको दे दो तुम सौगात । अक्सर हम भूखे सो जाते, नींद नहीं आई थी रात । पानी पिया में जी भर के, उठके हमने आधी रात।  अभी तो बासी से है गुजारा, हमको दे दो तुम सौगात।  मैया भी भूखी थी सोई , बाबू रोया सारी रात । दुधमुंहा था बाबू अपना, कहां से आता उसका भात । बापु को रोजगार दिला दो, हम भी खाएं ताजा भात  बाबू के माता के हीय से, दूध ना उतरी सारी रात । सुबह सवेरे सभी जगे पर, बाबू की थी आखिरी रात । मैया रोए,बापु रोए कौन  सुने इनकी हालात। सुनी खबर नेता भी आ गए, हमसे पूछा कौन हो जात , नाक सिकुड के बोले नेता, करता हूं अभी ऊपर बात । दे आश्वासन चल दिए नेता, कर गए कुछ वोटों की बात। अभी तो बासी से है गुजारा,  हमको दे दो तुम सौगात । कैसे बाबू तड़प-तड़प कर, मौत से किया था दो-दो हाथ । अब ना अंतक आकर दे जाये,  किसी बाबू को सह और मात भात नही दे सकते साहब, फिर क्यों पूछ रहे हो जात। अभी तो बासी से है गुजारा,  हमको दे दो तुम सौगात । बापु को रोजगार दिला दो,  हम भी खाएं ताजा भाव।   ...

अश्क़

 अश्को के धारो में कई जज़्बात होते हैं। कभी सौगात होते हैं, कभी आघात होते हैं। मगर एक अश्क़ ऐसा हैं, जहाँ दो बात होते हैं। बच्चा जन्म जो लेता हैं, माता के उदर से तो, जो बच्चा चीख भरता हैं, ख़ुशी दिन रात होते हैं। मगर अश्को के धारोमें, कई जज़्बात होते हैं। कभी सौगात होते , कभी आघात होते हैं। इसके बाद के का जीवन,चाहे कितना भी लंबा हो। अभी जो बात होती हैं, कभी न बात होते हैं, की बच्चा रोया करता हैं, माँ की सौगात होती हैं। उस माँ के आँसू को भला समझेगी दुनिया क्या, जहां सृष्टि रचना की कला अज्ञात होती हैं। अश्कों के समंदर में कई जज़्बात होते हैं। कभी सौगात होते हैं, कभी आघात होते हैं।                                अनिल कुमार मंडल                           लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद

वक़्त

                        वक़्त  चार दिन की ये जिंदगानी किउं करता बर्बाद । वक़्त का पंछी, फर-फर भागे तु भी तो संग भाग । समय के साथ में चल रे बंधु, गा ले सुन्दर राग । नेक कर्म तु करते जाना, हो जीवन बेदाग़। सब के दिल में जगह बना ले, सभी करेंगे याद। चार दिन की ये जिंदगानी, किउं करता बर्बाद । वक़्त का पंछी फर-फर भागे ,तु भी तो संग भाग । एक दिन ऐसा आयेगा, अपने ही देंगे आग । वियर्थ की बातें बहुत हैं करता, अटल है ये संवाद। रावण और सिकंदर के भी, हुए थे इनसे लाग । चार दिनों की ये जिंदगानी, किउं करता बर्बाद । वक़्त का पंछी फर-फर भागे, तु भी तो संग भाग ।                                            अनिल कुमार मंडल                                                      लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद     ...

जिंदगी की जंग में

  जिंदगी की जंग में मौत का सामान लेकर, जिंदगी के जंग में, कुछ बटोही चल पड़ा है , अब तो मेरे संग में, पटरी पर है जिंदगी, सनसनाती भागती, जिंदगी मेरे भरोसे, सब हैं इसको मानती। फिर भी हम दोषी खड़े हैं, जिंदगी के जंग में,। कुछ तो मुझको गाली देते, कुछ कहे में भंग में। कुछ बटोही चल पड़ा है, अब तो मेरे संग में। रेल से अंजान था मैं, अब रंगा हूँ रंग में। वर्षों हमने की है तपस्या, रेलवे के संग में। तब जाकर पाया हैं बटोही, मैं तो अपने संग में। कुछ बटोही चल पड़ा हैं अब तो मेरे संग मे l रात भर आंखें निचोङी, सबथे अपने ढंग में। अब मैं थक कर चूर हुआ हूं, दर्द है हर अंग में। तब जाकर ये राही मिलते, कुछ पथिक के संग में। कुछ बटोही चल पड़ा है, अब तो मेरे संग में। मौत का समान लेकर जिंदगी की जंग मे l                  अनिल कुमार मंडल             लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद                     9205028055 

दस्तूर

    दस्तूर कोई यहां न अजर अमर है। थोड़ा-थोड़ा दूर हैं। आज मेरी कल तेरी वारी ये कैसा दस्तूर हैं। धन दौलत सब यहीं रहेगा, होता क्यों मगरूर हैं। चार कांधे का ले के सहारा जाना जग से दूर हैं। कोई यहाँ न अजर अमर हैं, ये कैसा दस्तूर हैं। आज मेरी कल तेरी बारी  थोड़ा थोड़ा दूर हैं। इससे कोई नहीं बचेगा, यही सत्य ये नूर हैं। बाकी ये जग मिथ्या सारा, रिश्ते सभी फितूर हैं। कोई यहाँ न अजर अमर हैं, थोड़ा-थोड़ा दूर हैं। आज मेरी कल तेरी बारी, ये कैसा दस्तूर हैं। जीवन जो दाता ने दिया हैं, यही बहत्तर हूर हैं। चार दिन की ये जिंदगानी, हँस के जियो हजूर हैं। कोई यहाँ न अजर अमर हैं, ये कैसा दस्तूर हैं। आज मेरी कल तेरी बारी , जाना वहाँ जरूर हैं।             अनिल कुमार मंडल        लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद               9205028055 

एहसान फरामोश

 शिक्षा से  संस्कार खो गया,  कहो कहे हैं किस का दोष, पेट काटकर जिसे पढ़ाया,  हो गए वो एहसान फरामोश। बीते दिन को याद करें तो,  हमको होता है अफसोस। किसको अपना दुखड़ा गाएं,  किस पे निकाले अपना रोष। बात बात पर बेटा कहता,  बापु तुम बैठो ख़ामोश।  ईश्वर की सौगात समझकर,  कर लेते हैं हम संतोष  पुरखों ने जो की है गलती,  उन पर आता है आक्रोश।  गुरुकुल शिक्षा बचा के रखते, बच्चे हो आदर्श के कोष।  शिक्षा से संस्कार खो गया, कहो कहे हैं किस का दोष। पेट काटकर जिसे पढ़ाया, हो गए वो एहसान फरामोश।                      अनिल कुमार मंडल                  लोको पायलट/गाजियाबाद                        9205028055

ये कैसा दस्तूर

गोरो के दस्तूर से देखो,बढ़ गया यहां फितूर है। मिट्टी से जो सोना गढ़ता,क्यों इतना मजबूर है।  अन्न सभी को चाहिए जग में,बिन मेहनत मिल जाए पग में  जो जितना धन लेकर बैठा, उतना ही मगरूर है। ये कैसा दस्तूर है भाई,ये कैसा दस्तूर है।  उनका हित जो दिल्ली करता, क्यों बेचारा भूखा मरता। कृषक तो केवल अन्न उपजाता,भाव नहीं ये तय कर पाता। नए दौर के कृषक तभी तो, भागता इससे दूर है । अन्य का भाव जो तय करता ,सत्ता की नशा में चूर है  ये कैसा दस्तूर है भाई ,ये कैसा दस्तूर है।                    अनिल कुमार मंडल                लोको पायलट/गाजियाबाद                       9205028055

फ़ौजी का सम्मान

Image
     फौजी का सम्मान फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो । मिट्टी की खुशबू को पहली,बारिश में तुम पाकर देखो । पग में एक कांटा चुभ जाए,दर्द को गले लगाकर देखो । तपती गर्मी रात अंधेरी जंगल,में कदम बढ़ा कर देखो । हाथ अकड़ गए पांव जमे हैं,इस मौसम में जाकर देखो । फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो।   बर्फीली ठंडी रातों में,दीपक एक जला कर देखो । खरपतवार और जंगल में तुम,कुछ दिन जरा बीता कर देखो । अन्न जल के बिना एक दिन तुम,दुश्मन से टकरा कर देखो । सेना में कुछ दिन की सेवा,देश हित में पाकर देखो । ए.सी में बैठ कर कोसने वाले,गर्मी में बदन जला कर देखो । फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो । तिरंगे की चाह में कुछ दिन,जीवन जरा बिता कर देखो । सनसनाती गोली की गति को,थोड़ा कान लगा कर देखो । सामने दुश्मन मौत लिए है,उससे आंख मिलाकर देखो । भारत की मिट्टी के खातिर,जान की बाजी लगाकर देखो । मरते-मरते चार मारूंगा,ऐसा जज्बा ला कर देखो । फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो । सिली माचिस पास हमारे,उससे आग जला कर देखो । मातृभूमि की रक्षा खातिर,थोड...

कान्हा माखन खाए

Image
      कान्हा माखन खाए सुन मेरे कान्हा मोहन प्यारे , नंद बाबा के आंख के तारे, तेरे अंदर अद्भुत माया कहो कहां से आए। मोरा कान्हा माखन खाए , मोरा कान्हा माखन खाए भोर भई गईयन को लेकर गोपालक हर्षाये, मोरा कान्हा माखन खाए,मोर कान्हा माखन खाएं यमुना तट पर रास रचाए ग्वालन के तुम वस्त्र चुराए, कालिया के फन पर चढ़कर के,सबको नाच दिखाएं  मोरा कान्हा माखन खाए,कान्हा माखन खाए यादव कि तुम मटकी फोड़े,मटकी फोड़े मार के रोड़े, गैया को बांसुरी सुना के माखन खाए तुम तो चुरा के  करतब अजीब दिखाये,मोरा कान्हा माखन खाए  मोरा कान्हा माखन खाए। धर्म की तुमने रक्षा किया था,गीता का उपदेश दिया था।  जिसको सुन कर आज भी मानव भव सागर तर जाए।  जो  आप की महिमा गाये,मोरा कान्हा माखन खाए।  मोरा कान्हा माखन खाए,मोरा कान्हा गईया  चराए ,  मोरा कान्हा माखन खाए , मोरा कान्हा माखन खाए ।                                   अनिल कुमार मंडल              ...

शाकाहार

Image
              शाकाहार जय जय भोले भंडारी, बन मानव शाकाहारी मांसाहार को त्याग दे युवा,चाहे नर हो या नारी जय जय भोले भंडारी कृषक न कोई अपमानित हो, उपजाते जो तरकारी जय जय भोले भंडारी मांस,मछली,अंडा सब छोड़े, बने सभी शाकाहारी जय जय भोले भंडारी कोई करें न यहाँ शिकायत, मांसाहार हैं लाचारी जय जय भोले भंडारी सब भोजन देते दाता, न मिले बन एकाहारी जय जय भोले भंडारी मांसाहार से पैदा करता हैं, तन और मन की बीमारी जय जय भोले भंडारी जिसका असर समाज पे पड़ता, बढ़ते हैं अत्याचारी जय जय भोले भंडारी जीव हत्या की चीख पुकार से, उठते हैं तरेंगे भारी जय जय भोले भंडारी प्राकृतिक आपदा बढ़ जाती हैं, चलती नही हैं होशियारी जय जय भोले भंडारी मांसाहार जो बंद करा दे,काम होगा ये सहकारी जय जय भोले भंडारी स्वस्थ समाज की रचना होगी, महके जीवन फुलवारी जय जय भोले भंडारी शाकाहार को खा के होता,तन ,मन अपना गुणकारी जय जय भोले भंडारी ऐसे तन मन में फिर फलता, दया, धर्म,प्यारी प्यारी जय जय भोले भंडारी सदगुण से दुर्गुण कटते हैं, जैसे बाँस कटे आरी जय जय भोले भंडारी जैसा अन्न हो वैसा ही मन कहते हैं दुनिया स...

पहचान

Image
           पहचान  धर्म के समर में अपनी पहचान मांगता हूँ। हे! गौ माता तुझसे एहसान मांगता हूँ।  हे! मातृभूमि तुझसे एक दान मांगता हूँ।  जैविक हो मेरा भोजन वो जान मांगता हूँ।  रसायन मुक्त धरा हो वो प्राण मांगता हूँ।  चाणक्य गुरु वाला स्वाभिमान मांगता हूँ। सुभाष बाबू वाला में शान मांगता हूँ।  वीरों की इस भूमि में ईमान मांगता हूँ । हॅस के जो चुमे में फांसी जवान मांगता हूँ।  देशद्रोही का समर में शमशान मांगता हूँ।  धर्म को विजय दिला दे वो आन मांगता हूँ।  पंचभूत हो गई मैली तू मौन क्यों खड़ी है। अधर्मीयों की जय हो विपदा बहुत बड़ी है। दिल्ली में लोकतंत्र का अभाव लग रहा है। स्वर्णिम बनेगा भारत ना दांव लग रहा है। सत्कर्म करने वाला रोटी को गा रहा है। पापियों का हर दिशा में अब ताज हो रहा है। गुदरी में लोकतंत्र है सम्मान मांगता हूँ।  संसद में शोर ना हो इंसान मांगता हूँ।  भारत की मिट्टी से मैं भगवान मांगता हूँ।  एक धर्म युद्ध वाला मैं श्याम मांगता हूँ।  रावण को जो मिटा दे वो राम मांगता हूँ। धर्म के समर में अपन...

काली वंदना

Image
                 काली वंदना  हे! काली मां खप्पर वाली हमको ये वर दें निर्धन बेघर जो दुखियारा तुम उन को घर दें हे! काली मां खप्पर वाली हम को ये वर दें अंग्रेजी में जो हैं अटके युवान जो पथ से है भटके, चंद्रगुप्त राणा के पोते बोध उन्हें कर दे हे! काली मां खप्पर वाली हमको ये वर दें दुश्मन कोई आंख दिखाएं बार-बार हमको छल जाए, हम अपने दुश्मन का माता सर ही कलम कर दें हे! काली मां खप्पर वाली हमको ये वर दें। छल,प्रपंच,धोखा,बेईमानी दुष्टों की है यही निशानी, इनको मौत की शरण में लेकर शुद्धिकरण कर दें हे! काली मां खप्पर वाली हमको ये वर दें लोकतंत्र की मान बचेगी,संसद की पहचान बचेगी, भारत के नेता गण शायद देख के ये सुधरे। हे! काली मां खप्पर वाली हमको ये वर दें देशभक्त जो सीमा पर हैं,जिसके कारण देश अमर हैं, ऐसे वीर सपूतों के कर में खप्पर धर दे हे! काली मां खप्पर वाली हमको ये वर दें।                                  अनिल कुमार मंडल             ...

धागों का त्यौहार

Image
        धागों का त्यौहार राखी के एक-एक धागे से भाई का हो श्रृंगार, की राखी धागों का त्यौहार , कि राखी धागों का त्यौहार। इस धागे के कण-कण में है भाई-बहन का प्यार। की राखी धागों का त्यौहार, कि राखी धागों का त्यौहार। सुबह - सवेरे दोनों जग कर इस दिन हो तैयार, भाई ने सूट - बूट पहना है बहना करे श्रृंगार, की राखी धागों का त्यौहार ,की राखी धागों का त्यौहार। भैया मेरे प्रण कर लो तुम मेरे पहरेदार, बहना की रक्षा करना तुम जब तक है संसार, की राखी धागों का त्यौहार ,की राखी धागों का त्यौहार। तिलक लगाकर माथे पर हाथों में  बांधू प्यार, तेरी लंबी उम्र की मैं ईश्वर से करूं पुकार, की राखी धागों का त्यौहार , की राखी धागों का त्यौहार। इस पावन त्यौहार में वस्ता रिश्तो की झंकार, जब से सूरज-चंदा चमके तब तक ये त्यौहार, की राखी धागों का त्यौहार,की राखी धागों का त्यौहार। इस धागे के कण-कण में है भाई-बहन का प्यार।                                अनिल कुमार मंडल               ...