कान्हा माखन खाए


      कान्हा माखन खाए

सुन मेरे कान्हा मोहन प्यारे , नंद बाबा के आंख के तारे,
तेरे अंदर अद्भुत माया कहो कहां से आए।
मोरा कान्हा माखन खाए , मोरा कान्हा माखन खाए
भोर भई गईयन को लेकर गोपालक हर्षाये,
मोरा कान्हा माखन खाए,मोर कान्हा माखन खाएं
यमुना तट पर रास रचाए ग्वालन के तुम वस्त्र चुराए,
कालिया के फन पर चढ़कर के,सबको नाच दिखाएं 
मोरा कान्हा माखन खाए,कान्हा माखन खाए
यादव कि तुम मटकी फोड़े,मटकी फोड़े मार के रोड़े,
गैया को बांसुरी सुना के माखन खाए तुम तो चुरा के 
करतब अजीब दिखाये,मोरा कान्हा माखन खाए 
मोरा कान्हा माखन खाए।
धर्म की तुमने रक्षा किया था,गीता का उपदेश दिया था। 
जिसको सुन कर आज भी मानव भव सागर तर जाए। 
जो  आप की महिमा गाये,मोरा कान्हा माखन खाए। 
मोरा कान्हा माखन खाए,मोरा कान्हा गईया  चराए ,
 मोरा कान्हा माखन खाए , मोरा कान्हा माखन खाए ।



                                  अनिल कुमार मंडल 
                                  लोको पायलट , गाजियाबाद

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