फ़ौजी का सम्मान


     फौजी का सम्मान

फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो ।
मिट्टी की खुशबू को पहली,बारिश में तुम पाकर देखो ।
पग में एक कांटा चुभ जाए,दर्द को गले लगाकर देखो ।
तपती गर्मी रात अंधेरी जंगल,में कदम बढ़ा कर देखो ।
हाथ अकड़ गए पांव जमे हैं,इस मौसम में जाकर देखो ।
फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो।
 
बर्फीली ठंडी रातों में,दीपक एक जला कर देखो ।
खरपतवार और जंगल में तुम,कुछ दिन जरा बीता कर देखो ।
अन्न जल के बिना एक दिन तुम,दुश्मन से टकरा कर देखो ।
सेना में कुछ दिन की सेवा,देश हित में पाकर देखो ।
ए.सी में बैठ कर कोसने वाले,गर्मी में बदन जला कर देखो ।
फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो ।

तिरंगे की चाह में कुछ दिन,जीवन जरा बिता कर देखो ।
सनसनाती गोली की गति को,थोड़ा कान लगा कर देखो ।
सामने दुश्मन मौत लिए है,उससे आंख मिलाकर देखो ।
भारत की मिट्टी के खातिर,जान की बाजी लगाकर देखो ।
मरते-मरते चार मारूंगा,ऐसा जज्बा ला कर देखो ।
फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो ।

सिली माचिस पास हमारे,उससे आग जला कर देखो ।
मातृभूमि की रक्षा खातिर,थोड़ा दौड़ लगा कर देखो ।
चारों ओर है मौत का मंजर,पार उधर तुम जाकर देखो ।
यु नहीं मिलता कफन तिरंगा,सीने पर गोली खा कर देखो ।
फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो ।

अपने भाई के टुकड़ों को,हाथ में जरा उठा कर देखो ।
लड़ते-लड़ते अपने खू को,वीरगति में पाकर देखो ।
बूढ़े बाप के कांधे पे,बेटे का जनाजा जाकर देखो ।
उस माता पर क्या गुजरी है,पत्थर सा कलेजा पा कर देखो ।
फौजी का सम्मान करोगे,दिल में आग लगा कर देखो।

                                     अनिल कुमार मंडल
                                     लोको पायलट/गाजियाबाद
                                      9205028055

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